गाजीपुर
गाजीपुर जनपद के टॉप 10 अपराधियों की सूची में शामिल और मुख्तार के शूटर अंगद राय व गोरा राय के मामले की सुनवाई विशेष न्यायाधीश एससी/एसटी एक्ट की अदालत में हुई। कोर्ट ने अंगद राय और गोरा राय को पांच-पांच वर्ष की साधारण कारावास की सुनाई। साथ ही 10-10 हजार का अर्थदंड भी लगाया गया है।
कोर्ट ने बंदी से मारपीट और गाली गलौज के आरोप में एक-एक वर्ष की सजा से दंडित किया है। जबकि जान से मारने की धमकी देने के आरोप में दो-दो वर्ष की सजा। कोर्ट ने एससी/एसटी के मामले में पांच साल की सजा व दस-दस हजार जुर्माना लगाया है। अर्थदंड न देने पर एक-एक माह की अतिरिक्त सजा भी भुगतना पड़ेगा। हालांकि जेल में बिताई गई सजा समायोजित होगी।
शासकीय अधिवक्ता प्रदीप चतुर्वेदी के अनुसार वादी जितेंद्र राम जिला कारागार में निरूद्ध था। 22 अप्रैल 2009 को कैदी अंगद राय व उमेश उर्फ गोरा राय जो बैरक नंबर 10 में रह रहे थे। वहां पर वादी रोजाना झाड़ू लगाने जाता था, लेकिन फोड़ा होने के कारण वादी सफाई करने नहीं गया। उसी पर वादी को बुलाकर मारे पीटे, जिससे बायां हाथ टूट गया। साथ ही दोनों आरोपियों द्वारा जातिसूचक शब्दों का प्रयोग करते हुए जान से मारने की धमकी दी थी।
पीड़ित की सूचना पर कोतवाली में दोनों आरोपियों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज हुआ और पुलिस ने उक्त मामले में दोनों आरोपियों के विरुद्ध न्यायालय में आरोप पत्र पेश की। विचारण के दौरान गवाही के समय गवाह प्रमोद गिरी उर्फ पप्पू गिरी को आरोपियों के द्वारा गवाही न करने के लिए जान से मारने की धमकी दी गई। तब गवाह ने आरोपियों के विरुद्ध थाना कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया।
अभियोजन ने गवाह को सुरक्षा व्यवस्था मुहैया कराया। तब जाकर गवाह का न्यायालय में बयान अंकित हुआ। मुकदमे में कुल सात गवाहों की गवाही होने के बाद सात जून को दोनों अभियुक्त गोरा राय व अंगद पर आरोप सिद्ध हुआ। कोर्ट ने दोनों को उपरोक्त सजा सुनाते हुए जेल भेज दिया। शासकीय अधिवक्ता प्रदीप चतुर्वेदी के मुताबिक सात गवाहों को पेश किया। अंगद राय और गोरा राय को जिला जेल भेजा गया। अंगद राय भभुआ जेल में था, जहां का मामला समाप्त हो गया। ऐसे में दोनों को जिला जेल भेजा गया।