नई दिल्ली
दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को चार नई याचिकाओं पर नोटिस जारी किए। याचिकाओं में ग्रेस मार्क्स दिए जाने को चुनौती दी गई है और 5 मई को आयोजित नीट (यूजी) परीक्षा में पेपर लीक होने का आरोप लगाया गया है। वेकेशन बेंच की जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने याचिकाओं पर नोटिस जारी कर नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) से जवाब मांगा है। स्टूडेंट्स आदर्श राज गुप्ता, केया आजाद, मोहम्मद फ्लोरेज और अनावद्या वी. की ओर से दायर याचिकाओं पर सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया, "परीक्षा के संबंध में सुप्रीम कोर्ट समेत विभिन्न अदालतों में कई रिट याचिकाएं दायर की गई हैं।"
तुषार मेहता ने कहा कि इन याचिकाओं में उठाए गए मुद्दे तीन श्रेणियों में आते हैं। पेपर लीक होने, प्रश्नों में विसंगति और ग्रेस मार्क आदि हैं। उन्होंने आगे कहा कि एनटीए सुनवाई के लिए सभी संबंधित याचिकाओं को एकत्रित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने की प्रक्रिया में है। इस बीच, दिल्ली हाईकोर्ट ने नई याचिकाओं पर नोटिस जारी किए और उन्हें रोस्टर बेंच के सामने 5 जुलाई को सुनवाई के लिए निर्धारित किया।
इस हफ्ते की शुरुआत में, सुप्रीम कोर्ट ने पेपर लीक के आरोपों के कारण नीट (यूजी) परीक्षा रद्द करने की मांग वाली एक अलग याचिका पर भी नोटिस जारी किया था, जिसकी सुनवाई 8 जुलाई को निर्धारित की गई है।
पिछले हफ्ते 17 साल के एक युवक ने नीट (यूजी) 2024 परीक्षा में कथित विसंगतियों को लेकर एनटीए को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट का रुख किया था। स्टूडेंट की ओर से उसकी मां द्वारा दायर याचिका में आयोजित परीक्षा की 'आंसर की' की सत्यता को चुनौती दी गई है। यह मुद्दा टेस्ट बुकलेट कोड आर5 के प्रश्न संख्या 29 के इर्द-गिर्द घूमता है, जहां 3 जून को जारी अंतिम 'आंसर की' में कथित तौर पर दो सही उत्तर सूचीबद्ध किए गए थे।
यह परीक्षा पुस्तिका में दिए गए निर्देशों के विपरीत है, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया था कि सेक्शन ए में प्रत्येक मल्टीपल च्वाइस प्रश्न के लिए केवल एक ही विकल्प सही हो सकता है। याचिका में कहा गया है कि एनटीए ने 30 मई को प्रोविजनल 'आंसर की' प्रकाशित की थी और छात्रों को 31 मई तक आपत्तियां उठाने का मौका दिया गया था।
विवादित प्रश्न के लिए क्रमांक 4 को सही माना गया। इस विसंगति का परीक्षार्थियों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा। इसके बावजूद, फाइनल 'आंसर की' में विवादित प्रश्न के लिए विकल्प 2 और 4 दोनों को सही माना गया।
याचिकाकर्ता का तर्क है कि एनटीए द्वारा दो विकल्पों में से किसी एक को चुनने वाले छात्रों को अंक देने का निर्णय उन लोगों को अनुचित रूप से लाभ पहुंचाता है जिन्होंने सही उत्तरों में से किसी एक का अनुमान लगाया या अनजाने में उसे मार्क कर दिया।
याचिका में दावा किया गया है कि यह उन उम्मीदवारों के साथ भेदभाव करता है जिन्होंने निर्देशों का पालन किया और अस्पष्टता के कारण उत्तर को मार्क करने से परहेज किया।