इस्लामाबाद
पाकिस्तान में बकरीद से पहले अहमदिया समुदाय के तीन लोगों को हिरासत में लिया गया है। यह घटना पंजाब सूबे के चकवाल जिले की है। ऐसा इसलिए किया गया है ताकि इन लोगों को बकरीद के मौके पर कुर्बानी देने से रोका जा सके। पाकिस्तान में अहमदिया समुदाय के लोगों को मुसलमान नहीं माना जाता और अकसर उनके खिलाफ हिंसा की घटनाएं होती हैं। हिंदू, सिख और ईसाइयों की तरह ही उन्हें भी अकसर उत्पीड़न का शिकार होना पड़ता है। चकवाल में जिन लोगों को हिरासत में लिया गया है, उन्हें तीन महीने तक नजरबंद रखा जाएगा।
चकवाल के डिप्टी कमिश्नर कुरातुल आइन मलिक ने तीन लोगों को हिरासत में लेने के लिए अलग-अलग आदेश जारी किया। इन लोगों को 10 जून को अरेस्ट किया गया है। पुलिस ने इन लोगों को पकड़ा और झेलम जेल में भेज दिया गया है। ये तीनों ही लोग डुलमियाल गांव के रहने वाले हैं। इसी गांव में 2016 में अहमदिया समुदाय के लोगों पर हमला बोला गया था। इस हिंसा में 2 लोगों की मौत हो गई थी। इस हमले के चलते पूरे पंजाब सूबे में ही तनाव की स्थिति पैदा हो गई थई। अंत में अहमदिया समुदाय की एक मस्जिद को सील कर दिया गया था, जिसका निर्माण 19वीं सदी में हुआ था।
स्थानीय प्रशासन ने इस मस्जिद को सील किया था और अब तक उसे लेकर कोई फैसला नहीं लिया गया है। डिप्टी कमिश्नर ने अपने आदेश में कहा कि हमें जिला पुलिस से रिपोर्ट मिली थी कि इन तीन लोगों के चलते कानून व्यवस्था बिगड़ सकती है। ऐसे में व्यवस्था बनाए रखने के लिए इनकी हिरासत का आदेश दिया गया है। इन लोगों को इसलिए हिरासत किया गया है ताकि सांप्रदायिक हिंसा की स्थिति को टाला जा सके। गौरतलब है कि पाकिस्तान में अहमदिया समुदाय के लोग अकसर हिंसा के शिकार होते रहते हैं। दरअसल मुसलमानों के सुन्नी समुदाय को मानने वाले एक बड़े वर्ग का मानना है कि अहमदिया समुदाय के लोग मुसलमान नहीं होते और इन्हें बकरीद या फिर ईद मनाने का हक नहीं है।