कोलंबो
भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने गुरुवार को भारत की मदद से तैयार समुद्री बचाव समन्वय केंद्र (एमआरसीसी) का संयुक्त रूप से उद्घाटन किया। हिंद महासागर द्वीप में बेहद संवेदनशील स्थान पर स्थित, एमआरसीसी के कोलंबो में नौसेना मुख्यालय, हंबनटोटा में एक उप-केंद्र और गैले, अरुगाम्बे, बट्टिकलोआ, त्रिंकोमाली, कल्लारावा, प्वाॅइंट पेड्रो और मुलिकुलम में महत्वपूर्ण मानव रहित प्रतिष्ठान हैं।
जयशंकर और राष्ट्रपति विक्रमसिंघे ने भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) द्वारा स्थापित एमआरसीसी के औपचारिक कमीशन को चिह्नित करने के लिए संयुक्त रूप से वर्चुअल पट्टिका का अनावरण किया। वे भारतीय आवास विकास भागीदारी पहल के तहत निर्मित 154 नए घरों को वर्चुअल तरीके से सौंपने में भी शामिल हुए।
जयशंकर ने दोनों देशों के सहयोग से विकसित विभिन्न द्विपक्षीय परियोजनाओं की प्रगति की सराहना की। राष्ट्रपति विक्रमसिंघे के मार्गदर्शन में विशेष रूप से बिजली, ऊर्जा, कनेक्टिविटी, बंदरगाह बुनियादी ढांचे, विमानन, डिजिटल, स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा, शिक्षा और पर्यटन को लेकर दोनों नेताओं के बीच चर्चा हुई। उन्होंने एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करने पर प्रतिबद्धता जताई।
भारत की मदद से कैंडी, नुवारा एलिया और मटाले जिलों में 106 घर बनाए गए हैं, जबकि कोलंबो और त्रिंकोमाली जिलों में 24-24 घर बनाए गए हैं। ये पहले से बनाए गए 3,700 घरों के अतिरिक्त हैं, जो भारतीय आवास परियोजना (आईएचपी) के तीसरे चरण के तहत बनाए जाने वाले 4000 घरों का हिस्सा हैं। यह पहल भारत ने तीन दशक लंबे युद्ध के बाद की तबाही के बाद की है, जो 2009 में समाप्त हुआ था।
गौरतलब है कि श्रीलंका में 2009 में समाप्त तीन दशक लंबे गृह युद्ध की समाप्ति के बाद, भारत सरकार ने श्रीलंका में 33 अरब (श्रीलंकाई) रुपये की लागत से 50 हजार घर बनाने की परियोजना शुरू की। इसमें युद्धग्रस्त उत्तरी और पूर्वी प्रांतों सहित सभी 25 जिले और केंद्रीय पहाड़ियां शामिल हैं। यहां भारतीय मूल के तमिल चाय बागानों में काम करते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली नई सरकार के गठन के बाद जयशंकर की यह पहली आधिकारिक यात्रा है। उन्होंने प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धने और अपने समकक्ष एम.यू.एम. एलिसबरी से भी मुलाकात की।