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कोर्ट का फैसला- ट्रेन में पैसेंजर का चोरी हुआ सामान, अब रेलवे भरेगा एक लाख का हर्जाना

नई दिल्ली
 आप किसी भी लोकप्रिय ट्रेन (Express Train) में सवार होइए, आपको एक नया नजारा देखने को मिलेगा। ट्रेन के रिजर्व डिब्बे में ढेरों अनऑथराइज्ड पैसेंजर घुस आते हैं। वैशाली एक्ससप्रेस, विक्रमशिला एक्सप्रेस, संपूर्ण क्रांति एक्सप्रेस जैसे ट्रेनों के स्लीपर क्लास की हालत तो जनरल डिब्बे जैसी बदतर होती जा रही है। एसी3 क्लास ही नहीं, सेकेंड एसी क्लास की भी अब हालत खराब हो गई है। इसी तरह के एक रिजर्व डिब्बे में दिल्ली की जया कुमारी ने नई दिल्ली से इंदौर की यात्रा की थी। यात्रा के दौरान ही उनका सामान चोरी हो गया। उन्होंने कंज्यूमर कोर्ट (Consumer Court) या उपभोक्ता फोरम में केस कर दिया। अब फोरम का फैसला आया है जिसमें रेलवे को एक लाख रुपये का हर्जाना भरने का आदेश दिया गया है।
क्या हुआ था जया कुमारी के साथ

यह घटना जनवरी 2026 की है। जया कुमारी ने नई दिल्ली से इंदौर जाने के लिए मालवा एक्सप्रेस में टिकट बुक कराया था। उन्होंने सीट पहले से बुक कराया था, इसलिए वह अपने सीट पर जा कर बैठ गई और अपना सामान सीट के नीचे रख लिया। उन्होंने देखा कि रिजर्व डिब्बे में काफी अनऑथराइज्ड लोग आ-जा रहे है। इसी आवाजाही के बीच झांसी और ग्वालियर के बीच उनका सामान चोरी हो गया। इस बात की सूचना टीटीई और रेल प्रशासन को दी गई। लेकिन उन्हें कोई राहत नहीं मिली।

उपभोक्ता फोरम का दरवाजा खटखटाया

दिल्ली वापस लौटने के बाद जया कुमारी ने उपभोक्ता फोरम (District Consumer Disputes Redressal Commission (Central District) का दरवाजा खटखटाया। उनकी तरफ से एडवोकेट प्रशांत प्रकाश अपियर हुए। उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष इंदरजीत सिंह और सदस्य रश्मि बंसल ने इस मामले की सुनवाई की। उन्होंने इस मामले में माना कि भारतीय रेलवे ने सेवाओं में लापरवाही और कमी बरती है। इस शिकायत में कहा गया था "सेफ, सिक्योर और कंफर्टेबल जर्नी के साथ-साथ यात्रियों के सामान की सुरक्षा करना रेलवे का कर्तव्य था।" ऐसा नहीं हुआ।

क्या कहा उपभोक्ता फोरम ने

बीते 3 जून को पारित एक आदेश में कहा गया कि यह रेलवे की लापरवाही का मामला है। उपभोक्ता फोरम ने रेलवे की इस दलील को खारिज कर दिया कि शिकायतकर्ता ने अपने सामान के प्रति लापरवाही बरती और सामान बुक नहीं किया गया था। यह देखते हुए कि शिकायतकर्ता को "एफआईआर दर्ज करने के लिए दर-दर भटकना पड़ा", आयोग ने कहा, "जिस तरह से यह प्रकरण हुआ और कीमती सामान चोरी हो गया, उसके बाद शिकायतकर्ता ने एफआईआर दर्ज कराने के लिए काफी प्रयास किए।" उचित जांच या इनवेस्टीगेशन के लिए अधिकारियों की चिरौरी करनी पड़ी। उसे अपने कानूनी अधिकारों को आगे बढ़ाने के लिए सभी प्रकार की असुविधाओं और उत्पीड़न का सामना करना पड़ा।

रेलवे को चुकाना होगा हर्जाना

इसमें कहा गया है कि शिकायतकर्ता ने भारतीय रेलवे के खिलाफ लापरवाही और सेवा में कमी का मामला स्थापित किया है क्योंकि आरक्षित टिकट पर यात्रा के दौरान बैग में रखा उसका सामान चोरी हो गया था। आयोग ने कहा “अगर विपरीत पक्ष या उसके कर्मचारियों की ओर से सेवाओं में कोई लापरवाही या कमी नहीं होती, तो ऐसी कोई घटना नहीं होती। शिकायतकर्ता द्वारा अपनी यात्रा के दौरान ले जाई जा रही वस्तुओं के मूल्य से इनकार करने के लिए कोई अन्य बचाव या सबूत नहीं है, इसलिए, शिकायतकर्ता को 80,000 रुपये के नुकसान की प्रतिपूर्ति का हकदार माना जाता है। ” इसके साथ ही उसे असुविधा, उत्पीड़न और मानसिक पीड़ा के लिए मुआवजे के रूप में 20,000 रुपये के अलावा मुकदमे की लागत के लिए 8,000 रुपये भी दिए।

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