नई दिल्ली
नरेंद्र मोदी सरकार अपने दो कार्यकालों के रिपोर्ट कार्ड में हाइवेज और एक्सप्रेसवे के निर्माम को गिनाती है। यूपी, महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में तेजी से इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार भी हुआ है। अब तीसरे कार्यकाल में भी सरकार इन्फ्रा पर फोकस करना चाहती है। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने कैबिनेट से 22 लाख करोड़ रुपये के निवेश की मंजूरी मांगी है। मंत्रालय का कहना है कि वह 2031-32 तक देश में 30,600 किलोमीटर हाईवे बनाएगा। यह प्लान वित्त मंत्रालय को सौंपा गया है और सभी अहम मंत्रालयों के साथ साझा किया गया है। इस प्लान के अनुसार देश भऱ में 18 हजार किलोमीटर एक्सप्रेसवे और हाई स्पीड कॉरिडोर बनाने की तैयारी है।
इसके अलावा शहरों के आसपास 4000 किलोमीटर हाईवेज को जाममुक्त करने का भी प्लान है। वहीं सीमांत इलाकों में भी सड़क बनाने की योजनाएं हैं, जो रणनीतिक लिहाज से बेहद अहम हैं। मंत्रालय की योजना के मुताबिक इसमें 25 फीसदी रकम प्राइवेट सेक्टर से आएगी। सड़क परिवहन मंत्रालय के मुताबिक दो चरणों में योजना तैयार की गई है। पहले राउंड के तहत 2028-29 तक सारे टेंडर जारी हो जाएंगे और उन पर काम 2031 तक पूरा कर लिया जाएगा। इन प्रोजेक्ट्स में 22 लाख करोड़ रुपये की पूंजी लगेगी।
रिपोर्ट के मुताबिक मंत्रालय ने सालाना 10 फीसदी बजट आवंटन बढ़ाने की मांग की है ताकि परियोजनाओं को पूरा किया जा सके। बता दें कि सरकार ने अंतरिम बजट में हाईवेज मिनिस्ट्री को 2.78 लाख करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया था। यह बीते वित्त वर्ष की तुलना में 2.7 फीसदी अधिक था। सड़क परिवहन मंत्रालय ने दूसरे चरण की जो योजना तैयार की है, उसके तहत 28,400 किलोमीटर हाईवे बनेगा। इस प्लान के तहत पूरी कार्ययोजना और टेंडर का काम 2033-34 तक निपटा लिया जाएगा और इन पर काम 2036-37 तक निपटा लिया जाएगा।
नितिन गडकरी के कामकाज की होती रही है तारीफ
हालांकि इसके बारे में अभी किसी फंड की मांग नहीं की गई है। पहले चरण का काम पूरा होने के बाद ही इस पर फोकस किया जाएगा। बता दें कि सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के कामकाज की तारीफ होती रही है। वह मोदी सरकार के उन मंत्रालयों में से एक रहे हैं, जिनके रिपोर्ट कार्ड की चर्चा होती रही है। ऐसे में सरकार भी चाहती है कि हाइवेज पर काम तेजी से जारी रहे।