नई दिल्ली
लोकसभा अध्यक्ष को लेकर चल रहा सस्पेंस खत्म हो गया है। एनडीए की तरफ से ओम बिरला एक बार फिर लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए उम्मीदवार होंगे। हालांकि डिप्टी स्पीकर पद को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच बात बिगड़ गई। जिसके बाद विपक्ष ने के. सुरेश को लोकसभा स्पीकर का उम्मीदवार बनाते हुए उनका नामांकन करा दिया। कांग्रेस ने के. सुरेश को सदन के सबसे वरिष्ठ सदस्यों में से एक होने के चलते प्रोटेम स्पीकर बनाने की भी मांग की थी। तो आइए जानते हैं कि के. सुरेश कौन हैं, कहां से सांसद हैं और डिप्टी स्पीकर पद को लेकर सत्ता और विपक्ष में क्यों बात बिगड़ी।
केरल से सांसद हैं कोडिकुन्नील सुरेश
कोडिकुन्नील सुरेश केरल के तिरुवनंतपुरम जिले की मावेलीक्करा लोकसभा सीट से कांग्रेस सांसद हैं। 4 जून 1962 को जन्मे के. सुरेश लोकसभा के सबसे वरिष्ठ सांसदों में से एक हैं। के. सुरेश 27 साल की उम्र में 1989 में पहली बार नौवीं लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए थे। के सुरेश ने केरल की अदूर लोकसभा सीट से जीत हासिल की और फिर 1991, 1996 और 1999 में भी अदूर लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व किया। 1998 और 2004 के आम चुनाव में सुरेश को हार का सामना करना पड़ा। साल 2009 के आम चुनाव में के सुरेश ने अपना निर्वाचन क्षेत्र बदला और मावेलीक्करा सीट से चुनाव लड़कर जीत हासिल की। उसके बाद से सुरेश लगातार जीतकर अब 2024 लोकसभा चुनाव में आठवीं बार संसद पहुंचे हैं।
यूपीए सरकार में राज्यमंत्री भी रहे
2024 के चुनाव में के. सुरेश ने सीपीआई उम्मीदवार अरुण कुमार सीए को साढ़े तीन लाख से ज्यादा वोटों से हराया। चुनावी हलफनामे के अनुसार, के. सुरेश करीब डेढ़ करोड़ की संपत्ति के मालिक हैं। के सुरेश संसद की कई अहम समितियों के सदस्य भी रह चुके हैं, जिनमें पेट्रोलियम और उर्वरक संबंधी स्थायी समिति, मानव संसाधन विकास मंत्रालय परामर्शदात्री समिति और संसद की विशेषाधिकारी समिति आदि शामिल हैं। के. सुरेश यूपीए की सरकार में केंद्रीय श्रम एवं रोजगार राज्यमंत्री भी रहे। 18वीं लोकसभा में कांग्रेस ने सुरेश को सचेतक की जिम्मेदारी भी सौंपी है। के. सुरेश केरल कांग्रेस के कार्यवाहक अध्यक्ष भी हैं और पार्टी संगठन में भी काम का उन्हें लंबा अनुभव है।
'ये मेरा नहीं, पार्टी का फैसला'
विपक्षी गठबंधन की तरफ से लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए उम्मीदवार बनाए जाने पर के सुरेश ने कहा कि 'मैंने अपना नामांकन भर दिया है। यह पार्टी का फैसला है, मेरा नहीं। लोकसभा में ये राय थी कि स्पीकर सत्ताधारी दल का और डिप्टी स्पीकर विपक्ष का होना चाहिए। डिप्टी स्पीकर पद पर हमारा अधिकार है, लेकिन वे (एनडीए) इसके लिए तैयार नहीं हैं। सुबह 11.50 तक हमने सरकार के जवाब का इंतजार किया, लेकिन जब कोई जवाब नहीं मिला तो हमने नामांकन भर दिया।'