सितारे तो सभी को पसंद आते हैं, चाहे वो आसमान के हों या फिर जमीन के। लेकिन कई बार जमीन पर रहने वाले सितारों के लाखों करोड़ों फैंस में से कोई उनसे दिल लगा बैठता है। यहीं से उनकी पैरासोशल रिलेशनशिप की शुरुआत होती है। इसके आपने अपने आसपास ही कई उदाहरण देखे होंगे और सुर्खियों में भी इनके बारे में काफी सुना होगा। उदाहरण के लिए कोई लड़की ये कहे कि वो शादी करेगी तो सिर्फ विराट कोहली से नहीं तो कभी नहीं।
इसी तरह आपको वो उदाहरण भी याद होगा, जो अभिषेक बच्चन और ऐश्वर्या राय की शादी के दौरान हुआ था। उस समय एक महिला ने ये दावा किया था कि वो जूनियर बच्चन के साथ पहले ही शादीशुदा संबंध में है। उसने काफी बवाल करने की कोशिश की थी और यहां तक कि शिकायत तक दर्ज कराई थी। ये मामला बड़ी मुश्किल से संभाला जा सका था। चलिए इस स्थिति को एक्सपर्ट्स की मदद से और समझते हैं।
क्या है पैरासोशल रिलेशनशिप?
किसी फिल्मी हीरो या क्रिकेटर-फुटबॉलर के क्रेजी फैंस के बारे में तो आपने सुना ही होगा। यह भी सुना होगा कि फैंस अपने चहेते सिलेब्स से शादी की ख्वाहिश रखते हैं और दावा करते हैं कि वह इन सिलेब्स से प्यार करते हैं। यही पैरासोशल रिलेशनशिप है।
इस बारे में डीजीएस काउन्सलिंग सॉल्यूशन में रिलेशनशिप काउंसलर गीतांजलि शर्मा कहती हैं, 'जब आप किसी ऐसे व्यक्ति से अपना रिश्ता बना लेते हैं जिसको बड़े लेवल पर लोग जानते हों, तो ये पैरासोशल रिलेशनशिप कहलाता है।'
'ऐसा रिलेशनशिप किसी नेता से हो सकता है, किसी फिल्मी सितारे या इनफ्लुएंसर से हो सकता है। लेकिन इस तरह के रिलेशनशिप की सबसे बड़ी बात यह है कि उस रिश्ते के बारे में उस सिलेब्रिटी को नहीं पता होता है।'
'ये ऐसी एक तरफा रिलेशनशिप होती है जो आपने किसी से प्रभावित होकर बनाई होती है। लेकिन दूसरी तरफ जो सिलेब्रिटी होता है, उसके लिए आप कोई मायने नहीं रखते, वो आपको जानते तक नहीं हैं। कई मामलों में लोग काल्पनिक किरदारों से भी खुद को जोड़ लेते हैं।'
क्यों और कब सितारों के प्यार में पड़ते हैं युवा?
इसमें कोई दो राय नहीं है कि सिलेब्रिटीज के सबसे ज्यादा फैंस युवा होते हैं। ऐसे में ज्यादातर युवा ही इस तरह के रिश्तों का हिस्सा बनते हैं।
बकौल गीतांजलि शर्मा, 'इस तरह के रिलेशनशिप की नींव बचपन में ही पड़ जाती है। कम उम्र में ही किसी बच्चे को कोई स्टार पसंद होता है। धीरे-धीरे वह उसकी बातों से प्रभावित होने लगता है और टीनेज में वह उस सिलेब्रिटी के साथ पैरासोशल रिलेशनशिप में पड़ जाता है।'
एक्सपर्ट्स का कहना है कि 'पैरासोशल रिलेशनशिप किसी से प्यार या गर्लफ्रेंड-बॉयफ्रेंड तक के रिश्ते तक ही सीमित नहीं है, बल्कि कोई व्यक्ति किसी सिलेब्रिटी को खुद का बेस्ट फ्रेंड समझ सकता है या उसे अपने सगे भाई-बहन की तरह भी देख सकता है।'
'मगर ये रिश्ता उसका खुद का बनाया होता है, जिसके बारे में खुद उन सितारों को नहीं पता होता। वहीं रिलेशनशिप एक्सपर्ट डॉ. इशिता मुखर्जी बताती हैं, 'इस तरह की रिलेशनशिप टीनेज में विकसित होती है। मगर 20 से 30 साल के लोग भी इस तरह के रिलेशनशिप में आ सकते हैं।'
कहीं प्यार पर बवाल, तो किसी की बन गई बात
पिछले दिनों सलमान खान की एक क्रेजी फैन उनसे शादी करने के लिए उनके पनवेल वाले फार्महाउस तक पहुंच गई। शादी की ख्वाहिश को लेकर उसने खूब हंगामा किया। आखिर में उसे गिरफ्तार करना पड़ा। ऐसे ही एक लड़की ने कार्तिक आर्यन को एक इवेंट के दौरान शादी के लिए प्रपोज कर दिया था।
हालांकि हमारे सामने ऐसे भी कई मामले हैं जहां फैन का प्यार परवान भी चढ़ा। जैसे शिल्पा शेट्टी के पति राज कुंद्रा उनके बड़े फैन हुआ करते थे। वहीं कहा जाता है कि अभिनेत्री अमृता राव की सादगी के आरजे अनमोल पहली ही बार में उनके फैन हो गए थे। बाद में धीरे-धीरे उनके बीच प्यार बढ़ा और उन्होंने शादी कर ली।
रिलेशनशिप है या मानसिक बीमारी?
कई लोग इसे मानसिक समस्या भी मानते हैं। क्या इससे किसी तरह की दिक्कत भी होती है? इस बारे में डॉ. इशिता मुखर्जी कहती हैं, 'जब तक आपको किसी से उस तरह का प्यार फील हो रहा है जिससे आपको अच्छा लगे, तब तक ये पैरासोशल रिलेशनशिप कहलाता है।
आप किसी को देखकर खुश रहते हैं या प्रेरित होते हैं, तो इस तरह का रिश्ता बुरा नहीं है। लेकिन जब आप उसे पाने की चाहत रखने लगते हैं, तो वह रिलेशनशिप मानसिक समस्या में बदलने लगता है।'
गीतांजली शर्मा बताती हैं, 'इस तरह के रिश्ते में समस्या तब शुरू होती है, जब उस एकतरफा रिश्ते की वजह से आपको डिप्रेशन, अकेलापन महसूस होने लगे या उस स्टार को पाने के लिए आप किसी भी हद तक जाने को तैयार हो जाएं।
पैरासोशल को हम तीन कैटेगरी में बांटते हैं। एक एंटरटेनमेंट सोशल, दूसरा इंटेंस पर्सनल और तीसरा बॉर्डर लाइन पैथोलॉजिकल।
एंटरटेनमेंट सोशल में व्यक्ति का किसी स्टार से एक एंटरटेनमेंट तक का रिश्ता होता है। इंटेस पर्सनल में व्यक्ति के दिल में उस सितारे के लिए फीलिंग ज्यादा हो जाती हैं।
वहीं तीसरा बॉर्डर लाइन पैथोलॉजिकल है, इसमें व्यक्ति का खुद पर नियंत्रण नहीं रहता। वह कुछ भी करने को तैयार हो जाता है। किसी भी क्राइम को करने से भी पीछे नहीं हटता। ऐसे व्यक्ति को इलाज की जरूरत होती है।'