नई दिल्ली
भारतीय थल सेना के नवनियुक्त प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने आज औपचारिक तौर पर कार्यभार संभाल लिया। 30 जून को ही सेवानिवृत्त हुए जनरल मनोज पांडे ने उन्हें कमान सौंपी थी। सोमवार सुबह सबसे पहले जनरल उपेन्द्र द्विवेदी इंडिया गेट के निकट स्थिति राष्ट्रीय समर स्मारक (नेशनल वार मेमोरियल) पहुंचे। वहां देश की रक्षा के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले सैनिकों को सैल्यूट किया। इसके बाद जनरल द्विवेदी साउथ ब्लाक स्थित सेना मुख्यालय पहुंचे। सेना मुख्यालय में उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। मुख्यालय में प्रवेश करने से पूर्व वहां उपस्थित अपने बड़े भाई सहित वरिष्ठ परिजनों के पांव छूकर आशीर्वाद प्राप्त किया।
इस अवसर पर उन्होंने मीडिया को भी संबोधित किया। उन्होंने कहा- मेरे लिए ये अत्यंत गर्व और सम्मान का अवसर है कि मुझे भारतीय थलसेना का नेतृत्व करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। भारतीय सेना के गौरवशाली परंपरा हमारे सैनिकों के बलिदान और योगदान की बुनियाद पर आधारित है। इस पर मैं उन वीर सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं जिन्होंने कर्तव्य पथ पर अपने प्राणों की आहुति दी है। आज भारतीय थलसेना आधुनिकीकरण के पद पर अग्रसर है। इस दिशा में आत्मनिर्भरता को पूर्णता हासिल करने के लिए भारत सेना हमेशा तैयार है। मैं देश और भारतीय नागरिकों को विश्वास दिलाता हूं कि भारतीय सेना हर चुनौती का सामना के लिए पूर्णता तैयार है। जनरल द्विवेदी ने कहा कि आज वैश्विक समीकरण बदल रहे हैं। वर्तमान दौर की लड़ाइयां नया रूप ले रही हैं। हमें इन चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए सैनिकों को अत्याधुनिक हथियारों से लैस कर नई रणनीतियां बनाकर तैयार रखने की आवश्यकता है।
भारतीय थल सेना की कमान संभाल चुके लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी ने फरवरी में थल सेना उपाध्यक्ष का पदभार ग्रहण किया था। सेनाध्यक्ष के रूप में जनरल द्विवेदी की नियुक्ति को सरकार ने 11 जून को मंजूरी दी थी। सन 1964 में एक जुलाई को जन्मे लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी को 15 दिसंबर, 1984 को भारतीय सेना की इन्फैंट्री (जम्मू-कश्मीर राइफल्स) में कमीशन मिला था।
मध्य प्रदेश में रीवा के सैनिक स्कूल के पूर्व छात्र जनरल द्विवेदी अपने करीब 40 साल के लंबे और असाधारण करियर में वह विभिन्न पदों पर रहे। उन्हें परम विशिष्ट सेवा पदक के अलावा अति विशिष्ट सेवा पदक से सम्मानित किया जा चुका है। लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी ने डीएसएससी वेलिंगटन और आर्मी वॉर कॉलेज महू में भी अध्ययन किया है।
उत्तरी सेना के कमांडर के तौर पर जनरल द्विवेदी ने जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद रोधी अभियानों के संचालन के अलावा, उत्तरी और पश्चिमी सीमाओं पर अभियान के संचालन की योजना और कार्यान्वयन के लिए रणनीतिक मार्गदर्शन और परिचालन संबंधी अंतर्दृष्टि प्रदान की है। जनरल द्विवेदी सीमा विवाद को हल करने में चीन के साथ जारी वार्ता में सक्रिय रूप से शामिल रहे। यही नहीं वो भारतीय सेना की सबसे बड़ी सैन्य कमान के आधुनिकीकरण में भी शामिल रहे। उन्होंने ‘आत्मनिर्भर भारत' के तहत स्वदेशी हथियारों को अपनाने के अभियान का नेतृत्व किया।