नॉर्वे की नोबेल कमेटी की अध्यक्ष बेरिट राइस एंडर्सन ने बताया कि 2019 में 88 देशों के करीब 10 करोड़ लोगों तक वर्ल्ड फूड प्रोग्राम (World Food Programme) की सहायता पहुंची. डब्ल्यूएफपी दुनिया भर में भूख को मिटाने और खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देने वाला सबसे बड़ा संगठन है
नॉर्वे. नॉर्वे (Norway) की नोबेल कमेटी (Nobel Committee) ने शुक्रवार को इस साल के नोबल शांति पुरस्कार (Nobel Peace Prize) के विजेता के नाम की घोषणा कर दी. इस साल का नोबेल शांति पुरस्कार वर्ल्ड फूड प्रोग्राम को दिया गया है. नोबेल शांति पुरस्कार के इतिहास में यह चौथी बार है जब 300 से ज्यादा नामांकन हुए. इस सम्मान के लिए पहला नाम प्रेस फ्रीडम समूहों, विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) और पर्यावरण एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग (Activist Greta Thunberg) की मजबूत दावेदारी थी, लेकिन ज्यूरी ने वर्ल्ड फूड प्रोग्राम को इस पुरस्कार के लिए चुना. पुरस्कार के लिए नाम का चुनाव करने वाली नोबेल कमेटी ने दुनिया भर में भूख मिटाने और पीड़ितों की मदद में वर्ल्ड फूड
प्रोग्राम की भूमिका को अहम बताया है.
नॉर्वे की नोबेल कमेटी की अध्यक्ष बेरिट राइस एंडर्सन ने बताया कि 2019 में 88 देशों के करीब 10 करोड़ लोगों तक वर्ल्ड फूड प्रोग्राम की सहायता पहुंची. डब्ल्यूएफपी दुनिया भर में भूख को मिटाने और खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देने वाला सबसे बड़ा संगठन है. ओस्लो के नोबेल इंस्टीट्यूट में आमतौर पर उमड़ने वाली भारी भीड़ नदारद थी. कोरोना की महामारी के कारण इस बार रिपोर्टरों की संख्या में भारी कमी रही.
नोबेल शांति पुरस्कारों के लिए इस साल 318 नामांकन आए. इनमें 211 शख्सियतें और 107 संगठन शामिल हैं. हालांकि इस सूची में शामिल नामों को अगले 50 साल तक के लिए गोपनीय रखा जाता है इसलिए यह अंदाजा लगाना मुश्किल होता है कि पुरस्कार आखिर किसे मिलेगा. जो लोग पुरस्कार के लिए नामांकित करने के अधिकारी हैं वो चाहें तो जरूर इसके बारे में बता सकते हैं.
इसी तरह से खबर आई कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी इस बार के शांति पुरस्कार की दौड़ में थे. उनके अलावा हांगकांग के लोग, उइगुर बुद्धिजीवी इलहाम तोहती, नाटो, पर्यावरणविद राओनी मेटुकतिरे, व्हिसलब्लोअर जूलियन असांजे, एडवर्ड स्नोडन और चेल्सी मैनिंग को भी नामांकित किया गया था.
ग्रेटा थनबर्ग का भी नाम था शामिल
पर्यावरण एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग का जन्म 3 जनवरी 2003 को स्वीडन में हुआ है. वह नोबेल शांति पुरस्कार के लिए मजबूत दावेदारों में से एक थीं. इनके पर्यावरण आंदोलन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया है. स्वीडन की इस कार्यकर्ता के कारण ही विश्व के नेता अब जलवायु परिवर्तन (Climate Change) जैसे गंभीर मुद्दें पर चर्चा करने के लिए विवश हुए हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) को कोरोना वायरस से जंग लड़ने के लिए इस पुरस्कार के लिए नामित किया गया था. डब्ल्यूएचओ का गठन 1948 में वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य का ध्यान रखने के लिए किया गया था. डब्ल्यूएचओ का मुख्यालय जिनेवा में है. इस सगंठन से 150 देशों के कार्यालय और 7 हजार से अधिक लोग जुड़े हुए हैं.
पिछले साल किसे मिला था ये पुरस्कार
बता दें कि पिछले साल (2019) में यह पुरस्कार इथियोपिया के प्रधानमंत्री एबी अहमद अली को मिला था. उन्हें पड़ोसी मुल्क एरिट्रिया के साथ शांतिपूर्वक सीमा विवाद (Border Dispute) सुलझाने के लिए इस सम्मान से नवाजा गया था. साल 2009 में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा (Barak Obama) को शांति के नोबल पुरस्कार से नवाजा गया था.
हालांकि, यह कोरोना वायरस के कारण लगे प्रतिबंधों पर निर्भर करता है कि अवॉर्ड सेरेमनी आयोजित होगी या दूर से ही किसी ऑनलाइन कार्यक्रम के जरिये पुरस्कार प्रदान करने की प्रक्रिया अपनाई जाएगी.