विदेश

कोरोना के दौर में अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में इस बार टूटेंगे सभी रिकॉर्ड; साबित होंगे दुनिया के सबसे महंगे चुनाव, 11 अरब डॉलर खर्च होंगे

अमेरिका में इस बार के राष्ट्रपति चुनाव दुनिया के सबसे महंगे चुनाव साबित होने वाले हैं। सेंटर फॉर रेस्पॉन्सिव पॉलिटिक्स ने चुनावी खर्च को लेकर जो शुरुआती अनुमान जारी किए हैं, वह चौंकाने वाले हैं। इस बार 11 बिलियन डॉलर यानी करीब 79 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च होने वाले हैं। यह 2019 के भारत के लोकसभा चुनावों से भी तकरीबन 50% ज्यादा है, जिन्हें अब तक दुनिया का सबसे महंगा चुनाव कहा गया था।

ओपनसीक्रेट्स डॉट ओआरजी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अगर फेडरल कमेटियां अब कोई खर्च नहीं करतीं तो भी अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव अब तक के सबसे महंगे चुनाव बन चुके हैं। फेडरल कमेटियों ने अब तक 7.2 बिलियन डॉलर खर्च किए हैं। यह आंकड़े 15 अक्टूबर तक और बढ़ सकते हैं, जब कैंडीडेट्स एक जुलाई से 30 सितंबर तक तीसरे क्वार्टर में किए गए खर्च के आंकड़े पेश करेंगे।

भारतीय चुनावों से तुलना करें तो तमाम आकलन कहते हैं कि 2019 में लोकसभा चुनावों में महज 50 हजार करोड़ रुपए खर्च हुए थे। वहीं, इससे पहले के 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में करीब 45 हजार करोड़ रुपए खर्च हुए थे। इस वजह से 2019 के लोकसभा चुनावों को अब तक का सबसे महंगा चुनाव कहा गया था। लेकिन, इस बार अमेरिका के राष्ट्रपति चुनावों में हो रहा खर्च तमाम रिकॉर्ड तोड़ रहा है।

रिपोर्ट में सेंटर फॉर रेस्पॉन्सिव पॉलिटिक्स की एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर शीला क्रमहोज ने कहा कि 2018 के चुनावों ने मिडटर्म के लिए फंडरेजिंग का रिकॉर्ड तोड़ा था। 2020 में सारे रिकॉर्ड टूटने वाले हैं। यह अब तक के इतिहास का सबसे खर्चीला चुनाव है और अभी भी खर्च खत्म नहीं हुआ है, चुनावों तक बहुत कुछ खर्च होने वाला है। सेंटर ने 10.8 बिलियन डॉलर का अनुमान लगाया है और वह अब तक हुए खर्च के आधार पर है। यह कोई सामान्य चुनाव नहीं है। अंतिम आंकड़े और भी बढ़ सकते हैं। डेमोक्रेटिक कैंडीडेट जो बाइडेन ने पहली प्रेसिडेंशियल डिबेट से 10 मिलियन डॉलर का फंड जुटाने की खबर दी थी। इसी तरह डेमोक्रेटिक फंडरेजिंग फर्म एक्टब्लू ने सुप्रीम कोर्ट की जज जस्टिस रूथ बेडर गिंसबर्ग के निधन के बाद से 300 मिलियन डॉलर का फंड जुटाने का दावा किया है।

कांग्रेस पर कब्जे के लिए हो रहा खर्च भी कम नहीं है। यह खर्च भी 560 करोड़ रुपए का आंकड़ा पार कर जाएगा। यह पिछले राष्ट्रपति चुनावों के मुकाबले 37 प्रतिशत ज्यादा है और 2018 के मिडटर्म के बराबर ही है। दोनों ही पार्टियां फंडरेजिंग में रिकॉर्ड तोड़ रही हैं, लेकिन डेमोक्रेट्स को ज्यादा कैश मिल रहा है। हाउस की रेस में डेमोक्रेटिक कैंडीडेट्स ने 534 मिलियन डॉलर जुटाए हैं, जबकि रिपब्लिकन कैंडीडेट्स ने सिर्फ 424 मिलियन डॉलर। सीनेट की दौड़ में डेमोक्रेट्स ने 331 मिलियन डॉलर जुटाए और रिपब्लिकन ने 280 मिलियन डॉलर जुटाए हैं।

कोविड-19 महामारी ने प्रेसिडेंशियल कैम्पेन में पैसे खर्च करने के तौर-तरीके बदल दिए हैं। उम्मीदवारों ने 2016 चुनावों के मुकाबले इस बार ट्रैवल और इवेंट्स पर पैसा कम खर्च किया है, लेकिन इस बार मीडिया पर खर्च कई गुना बढ़ गया है। ट्रम्प और बाइडेन वर्सेटाइल ऑनलाइन एड्स पर रिकॉर्ड तोड़ खर्च कर रहे हैं। इन विज्ञापनों का इस्तेमाल नए डोनर्स को आकर्षित करने और सपोर्टर्स को मेल-इन बैलट का इस्तेमाल करने की अपील करने में हो रहा है।

2020 के चुनावों में डेमोक्रेट्स ने रिपब्लिकन को पीछे छोड़ दिया है। अब तक हुए खर्च में डेमोक्रेट्स की हिस्सेदारी 54 प्रतिशत रही है, जबकि रिपब्लिकन की सिर्फ 39 प्रतिशत। इसमें अरबपति ब्लूमबर्ग और टॉम स्टेयर के प्रेसिडेंशियल कैम्पेन पर किया खर्च भी शामिल है।

जनसम्पर्क विभाग – आरएसएस फीड

PRATYUSHAASHAKINAYIKIRAN.COM
Editor : Maya Puranik
Permanent Address : Yadu kirana store ke pass Parshuram nagar professor colony raipur cg
Email : puranikrajesh2008@gmail.com
Mobile : -91-9893051148
Website : pratyushaashakinayikiran.com