माना जा रहा है कि यह तकनीक बस (Bus) और ट्रक जैसे बड़े वाहनों (Big vehicles like trucks) के लिए अत्यधिक कारगर साबित होगी, क्योंकि बड़े वाहनों को चलाने के लिए ज्यादा ऊर्जा (More energy) की जरूरत होती है.
देश में वायु प्रदूषण (Air Pollution) को लेकर अक्सर बहस होती है, और इसके लिए सबसे ज्यादा लगातार सड़कों पर बढ़ते वाहनों को जिम्मेदार ठहराया जाता है. ऐसे में वायु प्रदूषण और ग्रीन हाउस गैसों (Greenhouse Gases) के उत्सर्जन को कम करने के लिए तेजी से मांग उठती है. इस बीच वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) और केपीआइटी टेक्नोलॉजी ने हाइड्रोजन ईंधन सेल (HFC) से चलने वाली पहली प्रोटोटाइप कार का सफल परीक्षण देश में किया है. शनिवार को एक बयान में इस बारे में जानकारी दी गई.
हानिकारक ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी
आपको बता दें HFC पूरी तरह से देश में विकसित किया गयाईंधन सेल स्टैक है. HFC तकनीक विद्युत ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के बीच (हवा से) रासायनिक प्रतिक्रियाओं का उपयोग करती है और जीवाश्म ईंधन (Fossil Fuel) के उपयोग को समाप्त करती है. ईंधन सेल तकनीक केवल पानी छोड़ती है और इस प्रकार अन्य वायु प्रदूषकों के साथ हानिकारक ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी करती है. ईंधन सेल स्टैक से मतलब विद्युत ऊर्जा पैदा करने वाली बैटरियों से है, जिन्हें एकत्र करने के लिए ज्यादा जगह की जरूरत नहीं पड़ती. इसे सात सीटों वाली कार में आसानी से फिट किया जा सकता है. यह तकनीक 65-75 डिग्री सेल्सियस तापमान पर भी काम करती है जो वाहन चलाने के वक्त पैदा होने वाली गर्मी को सह सकती है.
इलेक्ट्रिक कार में ही ईंधन सेल फिट कर हुआ ट्रायल
बयान में कहा गया है कि CSIR और KPIT ने 10 किलोवाट की इलेक्ट्रिक बैटरी (Electric Battery) तैयार की है. HFC तकनीक का इस्तेमाल जैसे-जैसे बढ़ेगा, प्रदूषण का स्तर कम होगा और दुनिया एक साफ-सुथरी जगह बन जाएगी. परीक्षण के लिए बैटरी से चलने वाली इलेक्ट्रिक कार में ही ईंधन सेल को फिट किया गया था.
छोटी बैटरी से बड़े पैमाने पर विद्युत ऊर्जा
माना जा रहा है कि यह तकनीक बस और ट्रक जैसे बड़े वाहनों के लिए अत्यधिक कारगर साबित होगी, क्योंकि बड़े वाहनों को चलाने के लिए ज्यादा ऊर्जा की जरूरत होती है. एचएफसी तकनीक में छोटी बैटरी से ही बड़े पैमाने पर विद्युत ऊर्जा का उत्पादन होता है.
केपीआइटी के चेयरमैन रवि पंडित ने कहा कि, इस प्रौद्योगिकी का बेहतर भविष्य है और इसके स्वदेशी विकास के कारण, पहले से कहीं अधिक व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य होने की उम्मीद है. सीएसआइआर-नेशनल केमिकल लैबोरेटरी के निदेशक अश्विनी कुमार नांगिया ने कहा कि, अब समय आ गया है कि देश में परिवहन व्यवस्था में ईंधन के रूप में हाइड्रोजन आधारित अक्षय ऊर्जा का प्रयोग किया जाए.