नई दिल्ली
नीट पेपर लीक मामले में सुप्रीम कोर्ट आज अहम सुनवाई होनी थी, जिसे अब अगले गुरुवार तक के लिए टाल दिया गया है. चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच 18 जुलाई को परीक्षा में अनियमितता और री-एग्जाम की याचिकाओं पर सुनवाई करेगी. केंद्र और नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) के एफिडेविट के बाद आज केंद्रीय जांच एजेंसी (CBI) ने बंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट में अपनी रिपोर्ट दायर कर दी है. सीबीआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि नीट पेपर लीक केवल एग्जाम सेंटर्स तक ही सीमित है, यह सोशल मीडिया पर लीक नहीं हुआ.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 8 जुलाई को सुनवाई के दौरान सीजेआई ने केंद्र से कई सवालों के जवाब मांगे थे. उन्होंने कहा था, 'यह मानते हुए कि हम परीक्षा रद्द नहीं करने जा रहे हैं, तो धोखाधड़ी के लाभार्थियों की पहचान करने के लिए हम आज क्या करने जा रहे हैं? उन्होंने आगे कहा कि लाभार्थियों की पहचान करने के लिए सरकार ने अब तक क्या किया है?' सीजेआई ने कहा, 'ऐसी स्थिति में जहां उल्लंघन से पूरी प्रक्रिया प्रभावित होती है और लाभार्थियों को अन्य लोगों से अलग करना संभव नहीं होता, वहां री-एग्जाम का आदेश देना आवश्यक हो सकता है.'
सीजीआई ने कहा था कि NEET-UG 2024 की अखंडता से समझौता हुआ है तो परीक्षा रद्द होनी चाहिए. CBI ने अपनी जांच रिपोर्ट में कहा है कि पेपर लीक की घटना स्थानीय तौर पर हुई है. परीक्षा का पेपर सोशल मीडिया पर सर्कुलेट नहीं हुआ है.
केंद्र ने दाखिल किया हलफनामा
केंद्र सरकार ने नीट पेपर लीक को लेकर सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है. केंद्र ने हलफनामे में कहा कि भारत सरकार उन छात्रों की चिंताओं को दूर करने के लिए बाध्य है जिन्होंने नीट परीक्षा 2024 दी है. हलफनामे में कहा गया, सरकार समाधान खोजने के लिए चौतरफा प्रयास कर रही है, साथ ही यह सुनिश्चित कर रही है कि किसी भी दोषी उम्मीदवार को कोई लाभ न मिले. यह भी सुनिश्चित किया जाए कि 23 लाख छात्रों पर सिर्फ आशंकाओं के चलते एक नई परीक्षा का बोझ न डाला जाए.
अगर परीक्षा रद्द नहीं करते हैं तो… CJI ने केंद्र से कही ये बात
सुप्रीम कोर्ट सीजेआई ने कहा, 'यह मानते हुए कि हम परीक्षा रद्द नहीं करने जा रहे हैं, तो धोखाधड़ी के लाभार्थियों की पहचान करने के लिए हम आज क्या करने जा रहे हैं? उन्होंने आगे कहा कि लाभार्थियों की पहचान करने के लिए सरकार ने अब तक क्या किया है?' सीजेआई ने कहा, 'ऐसी स्थिति में जहां उल्लंघन से पूरी प्रक्रिया प्रभावित होती है और लाभार्थियों को अन्य लोगों से अलग करना संभव नहीं होता, वहां री-एग्जाम का आदेश देना आवश्यक हो सकता है.'