भोपाल
लोकसभा चुनाव से कुछ हफ्ते पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए रामनिवास रावत को तो मंत्री पद मिल गया। अब बारी अमरवाड़ा विधानसभा सीट का उपचुनाव जीतने वाले कमलेश शाह की है। कांग्रेस और कमल नाथ के गढ़ छिंदवाड़ा में भाजपा को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले कमलेश शाह उपचुनाव जीतने के बाद मंत्री पद के दावेदार हो गए हैं।
छिंदवाड़ा को प्रतिनिधित्व दे सकती है भाजपा
भाजपा आदिवासी वर्ग से आने वाले कमलेश शाह को मंत्री पद का ऑफर देकर ही कांग्रेस से पार्टी में लाई थी। अब तक छिंदवाड़ा जिले की सात विधानसभा सीटों में भाजपा का कोई विधायक न होने से मंत्रिमंडल में भी यहां का कोई प्रतिनिधित्व नहीं था। अब कमलेश शाह की जीत के बाद माना जा रहा है कि मंत्रिमंडल में एक संक्षिप्त विस्तार और होगा। उधर, बीना से कांग्रेस विधायक निर्मला सप्रे भी भाजपा में आ गई हैं और मंत्री बनने के लिए हरी झंडी का इंतजार कर रही हैं। अभी मंत्रिमंडल में तीन स्थान खाली भी हैं।
भाजपा के नेताओं बढ़ रहा असंतोष
भाजपा सरकार में कांग्रेस से आए नेताओं को मंत्री बनाए जाने से पार्टी में असंतोष बढ़ रहा है। दरअसल, कांग्रेस से आए नेताओं को मंत्री पद दिए जाने से भाजपा के उन विधायकों में नाराजगी है, जो मंत्री बनने के सपने देख रहे थे। ऐसे एक नहीं कई वरिष्ठ विधायक हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान भी लाखों की संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ताओं की भाजपा में एंट्री से पार्टी के मूल कार्यकर्ताओं का मनोबल कमजोर पड़ा है। कुछ दिन पहले ही मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अपने मंत्रिमंडल का पहला विस्तार किया। इसमें मध्य प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष रहे रामनिवास रावत को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई। ऐसे राजनीतिक निर्णय से भाजपा में कई दिग्गज नाराज हैं।
दिग्गज गोपाल भार्गव के हाथ खाली
पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव वर्ष 1984 से रहली विधानसभा क्षेत्र से लगातार चुनाव जीत रहे हैं। वे भी मंत्री पद के दावेदार हैं। भार्गव इस निर्णय से नाराज बताए गए हैं। कई अन्य नेताओं के विरोध के स्वर भी अब धीरे-धीरे सामने आने लगे हैं। संजय पाठक भी शिवराज सरकार में मंत्री रहे हैं।
भूपेंद्र सिंह, मलैया, गिरीश गौतम भी
मध्य प्रदेश में भूपेंद्र सिंह को शिवराज सिंह चौहान के बाद ओबीसी वर्ग का सबसे बड़ा नेता माना जाता रहा है। भूपेंद्र खुरई विधानसभा सीट से विधायक हैं और सागर सीट से लोकसभा सदस्य भी रह चुके हैं। वे भी मंत्री बनने की कतार में हैं। बृजेंद्र प्रताप सिंह हों या जयंत मलैया, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डा. सीतासरन शर्मा या गिरीश गौतम, सभी मंत्री बनना चाहते हैं।