सार्वजनिक क्षेत्र के इंडियन बैंक (Indian bank) ने केंद्र की स्वनिधि योजना (Svanidhi yojana) के तहत रेहड़ी पटरी वालों और हॉकरों को सब्सिडी के पेमेंट के लिए समझौता किया है.
सार्वजनिक क्षेत्र के इंडियन बैंक (Indian bank) ने केंद्र की स्वनिधि योजना (Svanidhi yojana) के तहत रेहड़ी-पटरी वालों तथा हॉकरों को सब्सिडी के भुगतान के लिए आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय तथा भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (SIDBI) के साथ सहमति ज्ञापन (MOU) किया है. इंडियन बैंक की प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) पद्मजा चुंदरू ने कहा कि हमारे लिए यह सम्मान की बात है कि बैंक इस योजना से जुड़ा है. यह सरकार की आत्मनिर्भर भारत की तर्ज पर एक प्रमुख योजना है.
केंद्र सरकार ने ने रेहड़- पटरी तथा हॉकरों को कर्ज उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर आत्मनिर्भर निधिPradhan Mantri Street Vendor’s AtmaNirbhar Nidhi- PM SVANidhi) योजना पेश की है. चुंदरू ने कहा, इंडियन बैंक ने स्वनिधि योजना के लाभार्थियों को प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (Direct Benefit Transfer) के जरिये ब्याज सहायता भुगतान करने को एकीकृत ऑनलाइन प्रणाली तैयार की है. उन्होंने बताया कि बैंक ने दीनदयाल अंत्योदय योजना के लिए डिजिटलीकरण कार्यक्रम सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है.
50 लाख रेहड़ी-पटरी लगाने वाले को मिलेगा लोन- प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर आत्मनिर्भर निधि योजना की शुरुआत 1 जून को की थी. इस योजना का मकसद कोविड-19 (COVID-19) की मार से प्रभावित रेहड़ी-पटरी वालों को अपनी आजीविका फिर शुरू करने के लिए सस्ता लोन उपलब्ध कराना है. स्कीम के तहत अधिकतम 10 हजार रुपये तक का लोन मिलता है. यह कारोबार को शुरू करने में मदद करता है. यह बेहद आसान शर्तों के साथ दिया जाता है. यह एक तरह का अनसिक्योर्ड लोन है. इस योजना का लाभ इस साल 24 मार्च या उससे पहले रेहड़ी-पटरी लगाने वाले 50 लाख लोगों को मिलेगा.
1 साल में लौटाना होगा कर्ज- अब वे रेहड़ी-पटरी, ठेले या सड़क किनारे दुकान चलाने वाले भी प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना का लाभ ले सकेंगे जिनके पास पहचान पत्र और विक्रय प्रमाण पत्र नहीं है. योजना के तहत विक्रेता 10,000 रुपये तक की कार्यशील पूंजी का ऋण ले सकते हैं. 6 अक्टूबर तक PM Svanidhi योजना के तहत 20.50 लाख से अधिक कर्ज आवेदन मिले हैं, जिनमें से 7.85 लाख से अधिक मामलों को मंजूरी दी जा चुकी है और 2.40 लाख से अधिक मामलों में रकम दे दी गई है.