लखनऊ
उत्तर प्रदेश में सावन महीने के दौरान कांवड़ यात्रा रूट पर होटल, रेस्तरां, ढाबा, फल और खान-पान की दूसरी दुकानों पर मालिक के नाम का बोर्ड लगाने के आदेश से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सहयोगी दल ही मोर्चा खोल रहे हैं। गुरुवार को नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने इस आदेश की समीक्षा की मांग की थी तो शुक्रवार को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में प्रभाव रखने वाले जयंत चौधरी की पार्टी राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) ने इस आदेश को वापस लेने की मांग कर दी है।
सबसे पहले मुजफ्फरनगर पुलिस ने कांवड़ रूट की दुकानों को ऐसा निर्देश दिया जिसके बाद शामली और सहारनपुर में ऐसे ही निर्देश पुलिस वालों ने दुकानदारों को दिए। समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती, ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहाद उल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी और दूसरे विपक्षी नेताओं के विरोध के बाद मुजफ्फरनगर की पुलिस ने गुरुवार को सफाई में कहा कि ये निर्देश स्वैच्छिक हैं। लेकिन शुक्रवार को सीएम योगी आदित्यनाथ ने पूरे यूपी में कांवड़ रूट पर दुकानदारों को नाम लगाने का आदेश दिया है।
आरएलडी के प्रदेश अध्यक्ष रामाशीष राय ने एक्स पर ट्वीट किया है कि उत्तर प्रदेश प्रशासन का दुकानदारों को अपनी दुकानों पर अपना नाम और धर्म लिखने का निर्देश देना जाति और संप्रदाय को बढ़ावा देने वाला कदम है। रालोद नेता ने इसे गैर संवैघानिक निर्णय बताते हुए प्रशासन से वापस लेने की मांग की है। जयंत चौधरी की पार्टी के ज्यादा सांसद तो नहीं हैं लेकिन वेस्ट यूपी में वो भाजपा की इकलौती सहयोगी पार्टी है। जयंत चौधरी की पार्टी की राजनीति में मुसलमानों को जगह मिलती रही है इसलिए उसके प्रदेश अध्यक्ष का बयान इलाके में अल्पसंख्यकों के बीच इस आदेश से फैल रही नाराजगी का इजहार है।
जेडीयू के प्रवक्ता केसी त्यागी पश्चिमी यूपी से ही संबंध रखते हैं। उन्होंने गुरुवार को कहा था कि ऐसा कोई आदेश नहीं जारी करना चाहिए जिससे सांप्रदायिक विभाजन पैदा हो। मुजफ्फरनगर के मुसलमानों का जिक्र करते हुए त्यागी ने कहा था कि ये लोग हमेशा कांवड़ियों की सेवा और मदद में आगे रहे हैं। त्यागी ने सरकार से इस निर्देश की समीक्षा करने की मांग की थी।