ढाका
बांग्लादेश में आरक्षण को लेकर हिंसा के बीच सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी नौकरी में ज्यादातर आरक्षण खत्म कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत के आरक्षण के बरकरार रखने के फैसले को रद्द कर दिया और 93 फीसदी नौकरियों को मेरिट पर आधारित करने का आदेश दिया है। अब 1971 के युद्ध में शामिल होने वालों के परिवारवालों को केवल पांच फीसदी आरक्षण दिया जाएगा।
योग्यता के आधार पर मिले नौकरी
हाई कोर्ट के फैसले को पलटते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि लगभग सभी सरकारी नौकरियों को योग्यता के आधार पर दिया जाना चाहिए। बता दें कि बांग्लादेश में आरक्षण सुधारों को लेकर कई दिनों से झड़प हो रही थीं जिनमें कम से कम 133 लोगों की जान जा चुकी है और हजारों लोग घायल हो चुके हैं। हिंसा को देखते हुए पूरे देश में हसीना सरकार ने कर्फ्यू लगा दिया था। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान छात्रों की ओर से पांच वकीलों को तर्क रखने की इजाजत दी गई थी। इस सुनवाई में शामिल हुए कुल 9वकीलों में से आठ ने हाई कोर्ट के फैसले को पलटने की बात कही। केवल एक वकील ने ही आरक्षण की वकालत की। बता दें कि बांग्लादेश में आरक्षम सुधार के बाद एक तिहाई सरकारी नौकरियों को 1971 के युद्ध में भाग लेने वालों के परिवार वालों के लिए आरक्षित कर दिया गया था। अब सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि केवल स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के परिवार वालों के लिए केवल 5 फीसदी सीटें आरक्षित की जा सकती हैं।
बांग्लादेश का सुप्रीम कोर्ट हाल ही में किए गए आरक्षण सुधारों की वैधता पर अगले महीने सुनवाई करने वाला था। हालांकि बिगड़ते माहौल और हिंसा को देखते हुए कोर्ट ने मामले की अर्जेंट सुनवाई की। इस केस में शामिल एक वकील ने एएफपी को बताया कि कोर्ट ने कहा है कि प्रदर्शनकारी छात्र अब अपनी क्लास को लौटें और पढ़ाई करें। इस आदेश के बाद आरक्षण 56 फीसदी से घटकर केवल सात फीसदी हो जाएगा। पहले 1971 के युद्ध में भाग लेने वालों के परिवार वालों को 30 फीसदी आरक्षण दिया जाना था जो कि अब केवल पांच फीसदी रह जाएगा। एक फीसदी आरक्षण आदिवासीयिों के लिए और एक फीसदी दिव्यांगों और ट्रांसजेंडर के लिए रह जाएगा। इस तरह से बांग्लादेश में सरकारी नौकिरियों में आरक्षण लगभग खत्म हो जाएगा। 93 फीसदी नौकरियां मेरिट के आधार पर ही दी जाएंगी।