पंजाब विधानसभा में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मंगलवार को केंद्र सरकार के कृषि बिलों और प्रस्तावित इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल के खिलाफ प्रस्ताव (रिजोल्यूशन) पेश किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र के तीनों कृषि बिल और प्रस्तावित इलेक्ट्रिसिटी बिल किसानों और बिना जमीन वाले मजदूरों के हितों के खिलाफ हैं। केंद्र के बिलों के खिलाफ अमरिंदर सरकार ने अपने 3 बिल पेश किए।
अमरिंदर ने कहा कहा कि ऑपरेशन ब्लू स्टार के वक्त भी मैंने पद छोड़ दिया था। मैं इस्तीफा देने से नहीं डरता, बल्कि इस्तीफा जेब में लेकर घूमता हूं। सरकार बर्खास्त होने का डर नहीं है, लेकिन किसानों को परेशान नहीं होने दूंगा, न्याय के लिए लडूंगा।
पंजाब सरकार ने ये तीन बिल पेश किए
- फार्मर्स प्रोड्यूस ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) स्पेशल प्रोविजंस एंड पंजाब अमेंडमेंट बिल
- द एसेंशियल कमोडिटीज (स्पेशल प्रोविजंस एंड पंजाब अमेंडमेंट) बिल
- द फार्मर्स (एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विसेज (स्पेशल प्रोविजंस एंड पंजाब अमेंडमेंट बिल)
संसद के मानसून सत्र में केंद्र सरकार ने खेती-किसानी से जुड़े 3 बिल पेश किए थे। पंजाब समेत कई राज्यों ने इनका विरोध किया था। उनका कहना था कि इन बिलों से किसानों को नुकसान और कॉरपोरेट्स को फायदा होगा। साथ ही आशंका जताई कि केंद्र सरकार धीरे-धीरे समर्थन मूल्य की व्यवस्था खत्म कर देगी। शिरोमणि अकाली दल ने तो NDA से नाता ही तोड़ दिया था। केंद्र के तीनों बिल राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद 29 सितंबर को कानून बन गए थे।
पंजाब सरकार ने समर्थन मूल्य की गारंटी दी
अब पंजाब सरकार का अपने बिलों को लेकर कहना है कि राज्य में कहीं भी गेहूं और धान को समर्थन मूल्य से कम पर नहीं खरीदा जा सकेगा। किसी कंपनी या व्यापारी के ऐसा करते हुए पाए जाने पर 3 साल की सजा का प्रोविजन जोड़ा गया है।
आप के विधायक सदन में ही धरने पर बैठ गए थे
इससे पहले सोमवार को विधानसभा में हाई वोल्टेज ड्रामा हुआ। अकाली नेता ट्रैक्टर और आप विधायक काला चोला पहनकर पहुंचे। राज्य सरकार की ओर से केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ लाए जा रहे बिल की कॉपी न मिलने पर विपक्ष ने काफी हंगामा किया। इसके विरोध में आप विधायक रातभर सदन में ही धरने पर बैठे रहे।
स्पीकर ने कहा कि बिल में सभी कानूनी पहलुओं को देखा जा रहा है। सरकार की कोशिश है कि बिल में ऐसा कोई कानूनी पहलू न छूटे जिससे कोर्ट में मुश्किलें पेश आएं।बिल इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि इसके आधार पर ही यूपीए अन्य गैर भाजपा राज्यों में ऐसे बिल पारित करने को कहेगी। इससे पहले आप विधायक हरपाल चीमा विधायकों के साथ सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते स्पीकर के सामने आए और बिल की कॉपी मांगी। अकाली दल ने भी आप का साथ दिया।जब दोनों दल हंगामा करने से नहीं रुके तो स्पीकर ने कार्यवाही मंगलवार सुबह 10 बजे तक स्थगित कर दी। उधर, कॉपी न मिलने पर आप नेताओं ने सदन के अंदर रातभर धरना दिया।