प्रदेश की 9 से ज्यादा बड़ी मंडियों में शनिवार को भी प्याज के दाम 70 रु./किलो से ज्यादा रहे। यहां कुल 52 हजार क्विंटल प्याज आई, जबकि इसमें 45 हजार क्विंटल मंडियों से ही दूसरे राज्यों में भेज दी गई। सिर्फ 20 हजार क्विंटल प्रदेश के फुटकर बाजार में आ सकी। भास्कर पड़ताल में पता चला कि बिचौलिए मंडी के बाहर किसानों से सीधी खरीदी कर ज्यादा मुनाफे के लिए प्याज दूसरे राज्यों में भेज रहे हैं।
असम से लेकर तमिलनाडु तक मांग ज्यादा है और कीमतें भी अच्छी मिल रही हैं। एक दिन पहले केंद्र सरकार ने प्याज की स्टॉक लिमिट तय की थी, लेकिन मप्र में यह मंगलवार से लागू हो सकेगी। कारण- त्योहार की छुटि्टयां।
खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के प्रमुख सचिव फैज अहमद किदवई का कहना है कि प्याज की जमाखाेरी पर रोक लगाई जा सकती है, लेकिन इसकी आवक-जावक पर नहीं। यह हमारे अधिकार क्षेत्र में नहीं है। स्टॉक लिमिट का नोटिफिकेशन जारी होने के बाद जमाखोरी पर कार्रवाई करेंगे। अब सवाल उठता है कि जब बिचौलिए प्याज सीधे दूसरे राज्यों में भेज रहे हैं तो जमाखोरी कहां होगी और पकड़ में कैसे आएगी?
मप्र में स्टॉक लिमिट दो दिन बाद, दाम अभी भी 70 पार
मप्र में प्याज का रकबा और उत्पादन कितना है?
– 2019-20 में रकबा 1.64 लाख हेक्टेयर था, 40.82 मीट्रिक टन उत्पादन हुआ। इस बार रकबा 1.80 लाख हेक्टेयर और उत्पादन 50 लाख टन अनुमानित है।
प्रदेश में प्याज की प्रतिदिन औसत कुल आवक कितनी है?
– 269 मंडियां हैं, 200 से ज्यादा में प्याज की खरीदी होती है। प्रतिदिन की औसत आवक 85 से 98 हजार क्विंटल तक है। शनिवार को यह एक लाख क्विंटल तक रही। इसमें से 90 हजार क्विंटल बाहर गई।
अभी प्याज इतनी महंगी क्यों?
– महाराष्ट्र, तेलंगाना, कर्नाटक में पैदावर कमजोर है, इसलिए देश में सप्लाई का दबाव मप्र पर है। बिचौलिए ज्यादा दाम मिलने पर दूसरे राज्यों में भेज रहे हैं, इसलिए प्रदेश में प्याज की कमी हो रही है, दाम बढ़े हैं।
इसकी खरीदी का सरकारी सिस्टम क्या है?
– कोई सिस्टम नहीं है। सरकार सीधे किसानों ने प्याज नहीं खरीदती है। केंद्र के पास 37 लाख टन प्याज का बफर स्टॉक है। उसने नेफेड से खरीदी की है। वह राज्यों को वितरित कर कीमतों पर नियंत्रण कर सकती है।
तो भी कीमतें कम कैसे होंगी?
– सरकार लिमिट को और करे तो छोटे सौदों में ज्यादा लोग पैसा लगाएंगे। 20 क्विंटल या इससे छोटे सौदे होने पर फुटकर व्यापारियों के हिस्से प्याज आएगी। इससे दाम तेजी से घट सकते हैं।
किसान मंडी में कितने में बेच रहा?
– बिचौलिए 35 से 40 रु. प्रति किलो के भाव से खरीदी कर रहे हैं। इसमें किसानों को कम, जबकि बिचौलियों को नियमित व्यापारियों से ज्यादा मुनाफा है।
केंद्र ने स्टॉक लिमिट तय की है, इसका क्या असर होगा?
– मप्र में स्टॉक लिमिट का नोटिफिकेशन सोमवार के बाद जारी होगा। लिमिट सख्ती से लागू हो तो कीमतें घट सकती हैं, लेकिन इसमें भी पेंच है। वो ये कि बिचौलिए माल स्टॉक नहीं कर रहे, वे किसान से खरीदी कर सीधे दूसरे राज्यों में ट्रक भेज रहे हैं। शेष|पेज 5 पर
बड़े सौदों पर रोक क्यों नहीं लग रही?
– अभी इंदौर जैसे बाजारों में एक ही व्यापारी 100 मीट्रिक टन और भोपाल में 50 मीट्रिक टन के सौदे कर रहे हैं। स्टॉक लिमिट लगने के बाद थोक व्यापारी 25 मीट्रिक टन और खुदरा व्यापारी 2 मीट्रिक टन से अधिक भंडारण नहीं कर पाएंगे। इससे बड़े सौदों पर अंकुश लगेगी।
बिचौलियों की मुनाफाखोरी पर कैसे रोकें?
– राज्य सरकार ने बाजार में अधिकतम कीमतें नहीं तय की हैं। इसलिए कौन-कितना मुनाफा बनाए, इस पर रोक मुश्किल है।
मंडी के बाहर सौदे, वहीं से गाड़ी रवाना कर रहे
भोपाल मंडी के थोक व्यापारी अच्छे कुरैशी के मुताबिक गाड़ियां जैसे ही मंडी में आती हैं, दो से तीन बड़े व्यापारी पूरी गाड़ी का माल खरीद लेते हैं। सुबह ही 400 क्विंटल प्याज बेंगलूरू भेजी गई। यह सीहोर, ब्यावरा, काला पीपल और जमुनिया से आई थी। रतलाम की मंडियों में भी गुजरात के लिए गाड़ी के गाड़ी के सौदे हो रहे हैं। जबलपुर संभाग में खंडवा-नासिक से प्याज आती है, लेकिन दो दिन से सप्लाई नहीं हुई, इसलिए यहां किल्लत है।