मध्य प्रदेश उपचुनाव में राजनीतिक दलों को सिर्फ वर्चुअल रैली करने के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को स्टे दे दिया। इससे पहले मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने फिजिकल रैली पर रोक लगाते हुए सिर्फ वर्चुअल रैली करने का आदेश दिया था। चुनाव आयोग और भाजपा नेता प्रद्युम्न सिंह तोमर ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी।
चुनाव आयोग ने कहा था कि 3 नवंबर को उपचुनाव होना है। इससे कुछ समय पहले हाईकोर्ट के आदेश ने चुनाव प्रक्रिया को लाचार बना दिया है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी रैलियों में कोरोना गाइडलाइंस लागू करवाने के लिए समय पर कदम नहीं उठाने को लेकर चुनाव आयोग की भी खिंचाई की। साथ ही राजनीतिक दलों को फटकार लगाते हुए कहा कि हाईकोर्ट ने जो आदेश दिया, उसके लिए आखिरकार जिम्मेदार कौन है?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- हाईकोर्ट को अब दखल देने की जरूरत नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट ने अपना काम अच्छे से किया, लेकिन अब दखल देने की जरूरत नहीं। साथ ही चुनाव आयोग से कहा कि अपनी जिम्मेदारी संभालिए। काम का ऐसा तरीका अपनाइए जो सभी के लिए अच्छा हो। सुप्रीम कोर्ट 6 हफ्ते बाद फिर इस मामले की सुनवाई करेगा।
हाईकोर्ट ने क्या कहा था?
कोर्ट ने कहा था कि चुनाव से जुड़ी सभी कैंपेनिंग वर्चुअली होनी चाहिए। अगर कहीं वर्चुअल मोड संभव नहीं हो तो डीएम की इजाजत से ही फिजिकल प्रचार किया जाएगा। डीएम को भी पहले चुनाव आयोग से मंजूरी लेनी होगी और चुनाव लड़ रहे कैंडिडेट को इतनी रकम जमा करवानी होगी कि रैली में जुटने वाले लोगों के लिए मास्क और सैनिटाइजर खरीदे जा सकें।