अमेरिका (US) ने दावा किया है कि उसने हवाई हमला कर आतंकी संगठन अल कायदा (Al -Qaeda) के 7 बड़े नेताओं को मार गिराया है. एक अन्य हमले में अल कायदा के 50 से ज्यादा लड़ाके भी मारे गए हैं.
अमेरिका (US) ने दावा किया है कि पिछले हफ्ते सीरिया (Syria) में उसके द्वारा किए गए हवाई हमले में अलकायदा (Al -Qaeda) के सात वरिष्ठ नेता मारे गए. अमेरिकी सेंट्रल कमान ने सोमवार को बताया कि इस हमले के वक्त संगठन के नेता इदलिब के निकट बैठक कर रहे थे. इस हमले में अल कायदा के 50 से ज्यादा लड़ाके भी मारे गए हैं. सेंट्रल कमान की प्रवक्ता मेजर बेथ रिऑर्डन ने बताया कि हवाई हमला 22 अक्टूबर को किया गया. हालांकि उन्होंने मारे गए अलकायदा नेताओं के नाम नहीं बताए हैं.
रिऑर्डन ने कहा, ‘अलकायदा के उन नेताओं के मारे जाने से आतंकवादी संगठन की साजिश रचने की और दुनियाभर में हमले करने की क्षमता प्रभावित होगी.’ उन्होंने कहा, ‘अलकायदा उत्तरपश्चिमी सीरिया में अस्थिरता का फायदा उठाता है और आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए इसका सुरक्षित पनाहगाह के रूप में इस्तेमाल करता है.’ रिऑर्डन ने कहा, ‘हमारे सहयोगियों और साझेदारों के साथ हम अलकायदा और अन्य आतंकवादी संगठनों को निशाना बनाना जारी रखेंगे.’ अमेरिका ने इदलिब के निकट 15 अक्टूबर को भी अलकायदा के खिलाफ हवाई हमला किया था. उत्तर पश्चिम सीरिया में स्थित विद्रोहियों के एक प्रशिक्षण शिविर पर सोमवार को किये गये हवाई हमले में 50 से अधिक लड़ाके मारे गये हैं.
रूस समर्थित हो सकता है हमला
तुर्की समर्थित विपक्षी समूह के प्रवक्ता युसूफ हमूद ने कहा कि सोमवार को हुए इस हवाई हमले के बारे में माना जाता है कि यह रूस ने किया है. रूस की तरफ से फिलहाल कोई बयान नहीं आया है. हमूद ने कहा कि हवाई हमले में इदलिब प्रांत के फैलाक अल शाम द्वारा संचालित प्रशिक्षण शिविर को निशाना बनाया गया. फैलाक अल शाम विद्रोहियों के बड़े संगठनों में से एक है . तुर्की लंबे समय से सीरिया में विद्रोही बलों को समर्थन देता रहा है और उसके कई लड़ाकों का इस्तेमाल लीबिया और आजरबैजान में किया गया है. सीरिया में लड़ाई की निगरानी करने वाले ब्रिटेन स्थित सीरियन आब्जरवेट्री फॉर ह्यूमन राइट्स ने कहा है कि इस हमले में 78 लड़ाके मारे गये हैं और करीब 90 लड़ाके घायल हुए हैं. राहत एवं बचाव अभियान अब भी जारी है. संगठन ने भी आशंका व्यक्ति की है कि शायद रूस ने यह हमला किया है. रूस सीरिया के राष्ट्रपति बशर असद का समर्थन कर रहा है.
ताइवान को हथियार देने की घोषणा
उधर अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व वाले प्रशासन ने ताइवान को 2.37 अरब डॉलर में हार्पून मिसाइल प्रणालियों की बिक्री संबंधी योजना के बारे में सोमवार को अधिसूचित किया. इससे कुछ ही घंटों पहले चीन ने बोइंग समेत अमेरिकी रक्षा कंपनियों पर प्रतिबंधों की घोषणा की थी. हार्पून सौदे में बोइंग मुख्य ठेकेदार कंपनी है. विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘ ताइवान जलडमरूमध्य में शांति एवं स्थिरता कायम रहने में अमेरिका का हित है और अमेरिका ताइवान की सुरक्षा को सीमावर्ती हिंद-प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा एवं स्थिरता के लिए अहम मानता है.
‘उन्होंने कहा कि इस बिक्री से क्षेत्र में सैन्य संतुलन नहीं बदलेगा. हार्पून मिसाइल पोतों और भूमि पर लक्ष्यों पर हमला करने में सक्षम है. बोइंग ने कहा कि यह मिसाइल 500 पाउंड आयुध ले जाने में सक्षम है. यह तटीय रक्षा स्थलों, सतह से वायु पर मिसाइल स्थलों, विमानों, बंदरगाहों में पोतों, बंदरगाहों और औद्योगिक केंद्रों पर निशाना साधने में सक्षम है. इससे पहले, चीन ने सोमवार को कहा था कि वह ताइवान को हथियारों की आपूर्ति करने के कारण बोइंग और लॉकहीड मार्टिन समेत शीर्ष अमेरिकी रक्षा कंपनियों पर प्रतिबंध लगाएगा. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा था, ‘चीन कई मौकों पर कह चुका है कि ताइवान को अमेरिकी हथियारों की बिक्री करना ‘चीनी नीति’ की अवहेलना करने के साथ ही संप्रभुता और सुरक्षा हितों को धता बताना है. हम इसकी कड़ी भर्त्सना करते हैं.’