2010 के बाद पहली बार केंद्रीय बैंकों (Central Banks) ने सोने की बिक्री है. इस साल कोरोना वायरस महामरी की वजह से सोने की कीमतों में लगातार तेजी देखने को मिली. सोना बेचने के मामले में सबसे टॉप पर उजबेकिस्तान (Uzbekistan) और तुर्की के केंद्रीय बैंक रहे हैं.
बीते एक दशक में ऐसा पहली बार हुआ है कि केंद्रीय बैंकों (Central Banks) ने सोने की बिक्री (Net Gold Sold) की है. दरअसल, कोरोना वायरस महामारी के बीच सोने की कीमतें नये उच्चतम स्तर पर पहुंच गईं, जिसके बाद सोना उत्पादक कुछ देशों ने लाभ उठाने की कोशिश की. तीसरी तिमाही में सोने की कुल बिक्री करीब 12.1 टन रही. पिछले साल केंद्रीय बैंकों ने करीब 141.9 टन सोने की खरीद की थी. वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC – World Gold Council) से इसकी जानकरी मिलती है. जिन देशों के केंद्रीय बैंकों ने सबसे ज्यादा सोने की बिक्री की, उसमें सबसे पहले उजबेकिस्तान और तुर्की रहे. रूस के केंद्रीय बैंक ने भी बीते 13 साल में पहली बार किसी एक तिमाही में सोने की बिक्र की है.
अगले साल केंद्रीय बैंक बड़े स्तर पर खरीद सकते हैं बैंक
इस साल एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड्स (Exchange Traded Funds) में बढते निवेश की वजह से सोने की कीमतों में तेजी लाई है. लेकिन, बीते कुछ सालों में देखें तो केंद्रीय बैंकों ने सोने की खूब खरीद की है. पिछले महीने ही सिटिग्रुप (Citigroup Inc.) ने अनुमान लगाया था कि 2021 में एक बार फिर बड़े स्तर पर केंद्रीय बैंक सोने की खरीद करेंगे. 2018 और 2019 में रिकॉर्ड खरीदारी के बाद इस साल इसमें सुस्ती देखने को मिल रही है.
तुर्की और उजबेकिस्तान ने कितना बेचा सोना?
जानकारों का कहना है कि यह कोई आश्चर्य की बात नहीं कि मौजूदा स्थिति में ये बैंक अपने गोल्ड रिज़र्व (Central Bank Gold Reserve) की ओर देखें. तीसरी तिमाही में तुर्की और उजबेकिस्तान के केंद्रीय बैंकों ने क्रमश: 22.3 टन और 34.9 टन सोने की बिक्री की है. उजबेकिस्तान अब अपने इंटरनेशनल रिज़र्व को डाईवर्सिफाई करने की दिशा में बढ़ रहा है.तीसरी तिमाही के आंकड़ों से पता चलता है कि साल-दर-साल स्तर पर सोने की मांग में 19 फीसदी की गिरावट आई है. वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल का कहना है कि सोने की मांग में यह गिरावट भारतीय ज्वेलरी की डिमांड कम होने की वजह से है. इसका एक कारण यह भी है कि चीन में ज्वेलरी की खपत में गिरावट आई है.
बाजार में सोने के दाम पर पड़ेगा असर
दरअसल, कोरोना वायरस महामारी के बीच अधिकतर देश वित्तीय प्रोत्साहन का ऐलान कर रहे हैं. वर्तमान में सोने की कीमतों में तेजी का देखते हुए इस संकट से निपटने केलिए केंद्रीय बैंक सोना बेच रहे हैं. अगर आगे भी अन्य केंद्रीय बैंक सोना बेचने का फैसला लेते हैं तो इससे सोने के दाम में पर असर पड़ेगा, क्योंकि बीते कुछ समय में सोने की सबसे ज्यादा खरीद केंद्रीय बैंकों ने ही की है. हालांकि, माना जा रहा है कि सोने के दाम पर यह असर छोटी अवधि के लिए ही होगा.
सोने की खरीद या बिक्री क्यों करते हैं केंद्रीय बैंक
आपको बता दें कि किसी भी देश का केंद्रीय बैंक अपनी करंसी के अवमूल्यन को देखते हुए सोना—खरीदने या बेचने का फैसला लेता है. इसे मोटे तौर पर समझें तो ज्यादातर देश अपने विदेशी मुद्रा भंडार को डॉलर में ही रखते हैं. ऐसे में अगर डॉलर मजबूत होता है या उस देश की मुद्रा कमजोर होती है तो उसे डॉलर की खरीद करने में या अन्य देनदारियां डॉलर में चुकाना महंगा पड़ता है. इसके बदले सोने के पर्याप्त भंडारण की स्थिति में केंद्रीय बैंक सोने को मुद्रा में बदलकर अपनी देनदारियां चुका सकता है. इससे डॉलर पर आत्मनिर्भरता भी घटती है और सोने के दामों में तुलनात्मक रूप से स्थिरता की वजह से नुकसान भी कम होता है.
दुनिया के सबसे ज्यादा सोना रखने वाले देश
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की रिपोर्ट बताती हैं कि दुनिया में सबसे ज्यादा सोने का भंडार अमेरिका के पास है. अमेरिका के पास कुल 8,133.5 टन सोना रिजर्व में है. जर्मनी दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सोने के भंडार रखने वाला देश है. जर्मनी की ऑफिशियल गोल्ड होल्डिंग 3,369.70 टन है. सोने का यह भंडार देश के विदेशी मुद्रा भंडार का 70 फीसदी है. इटली के पास 2,451.8 टन सोना जमा है. यह सोना देश के विदेशी मुद्रा भंडार का 68 फीसदी है. वहीं, फ्रांस दुनिया का चौथा सबसे बड़ा सोने का भंडार रखने वाला देश है. फ्रांस के पास 2,436 टन सोने का भंडार है. यह सोना फ्रांस के विदेशी मुद्रा भंडार का 63 फीसदी है. इस लिस्ट में भारत का नंबर 11वां है. भारत के पास फिलहाल 608.7 टन सोने का रिजर्व है.