माध्यमिक शिक्षा बोर्ड अजमेर की दसवीं और बारहवीं के बोर्ड एग्जाम आवेदन की आखिरी डेट नजदीक आ रही है, लेकिन छात्रों और अभिभावकों की रुचि फिलहाल कम दिख रही है। दरअसल, निजी स्कूलों में बोर्ड फार्म के साथ ही स्कूल फीस भी ली जा रही है, जिसे जमा कराने से अभिभावक बच रहे हैं। बोर्ड की एग्जाम फीस तो छह सौ रुपए है, लेकिन स्कूल संचालक अपनी स्कूल फीस जोड़कर पांच हजार से ज्यादा रुपए ले रहे हैं।
राज्य के करीब बीस लाख बच्चे बोर्ड परीक्षा में हिस्सा लेते हैं। इसके लिए तीस नवम्बर तक आवेदन किया जाना है। निजी शिक्षण संस्थाओं ने अपने बच्चों को करीब पंद्रह दिन पहले इसका नोटिस भेज दिया कि बोर्ड फार्म भरने के लिए अभिभावक के साथ स्कूल आयें। दीपावली से पहले तो इक्का-दुक्का अभिभावक ही आये थे, अब इस संख्या में कुछ बढ़ोतरी हुई है। अभी आवेदन की आखिरी डेट में 11 दिन बचे हैं। स्कूल संचालकों की मानें तो दस फीसदी बच्चों ने भी अपने आवेदन नहीं दिये हैं।
स्कूल फीस आ रही आड़े
कोरोना के कारण स्कूल बंद होने के पर बच्चे ऑनलाइन क्लासेज ले रहे हैं। जहां कुछ विद्यालय सभी विषयों की ऑनलाइन क्लास लगा रहे हैं, वहीं कुछ स्कूल चुनिंदा विषय ही पढ़ा रहे हैं। सरकारी स्कूलों के बच्चों को तो ट्यूशन के भरोसे ही काम चलाना पड़ रहा है। ऐसे में अभिभावक किसी तरह का शुल्क जमा कराने के बजाय सिर्फ बोर्ड फीस देना चाहते हैं। निजी स्कूल संचालकों का कहना है कि ऑनलाइन कक्षाएं संचालित करने के लिए उन्हें भारी भरकम खर्च करना पड़ता है। वैसे निजी स्कूलों ने पूरी फीस के बजाय एक हिस्सा लेने का प्रस्ताव रखा है, जिसे पचास फीसदी अभिभावक ही स्वीकार कर रहे हैं।
सरकार की गाइड लाइन नहीं
बोर्ड परीक्षा के दौरान स्कूल फीस लेने अथवा नहीं लेने के लिए सरकार की ओर से कोई निर्देश नहीं है। वैसे भी निजी स्कूल और शिक्षा विभाग इन दिनों फीस के मुद्दे पर अदालत में है। जहां फैसला होना अभी शेष है। शिक्षा मंत्री गोविंद डोटासरा ने पिछले दिनों बीकानेर में यह कहा था कि जो स्कूल ऑनलाइन क्लास चला रहे हैं, वो फीस ले सकते हैं। उधर, फीस के मुद्दे पर निजी स्कूल जयपुर में बड़ा आंदोलन कर रहे हैं।
निजी स्कूल की परेशानी
दरअसल, निजी स्कूल पिछले लंबे अर्से से फीस के लिए परेशान हो रहे हैं। अपने निर्धारित खर्चों के लिए भी बजट नहीं है। ऐसे में बोर्ड परीक्षा फॉर्म को आपदा में अवसर के रूप में देख रहे हैं। इन बच्चों से अधिकतम फीस वसूलकर अपने खर्चों को निकालने की कोशिश में है।
अभिभावक की परेशानी
अभिभावक स्कूल बंद होने के कारण बच्चों को ट्यूशन करवा रहे हैं। जहां उसे हर महीने फीस देनी पड़ती है। ऑनलाइन कक्षाएं भी सभी बच्चे नहीं ले रहे हैं, ऐसे में वो बिना कक्षा शुल्क नहीं देना चाहते। बड़ी संख्या में अभिभावक बेरोजगार हो गए, उन्हें आर्थिक स्थिति फीस देने की इजाजत नहीं दे रही।