लखनऊ नगर निगम अब नौंवा ऐसा शहर बन गया है, जिसने बॉन्ड (Municipal Bond) जारी किया है. बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज पर ये बॉन्ड लिस्ट भी कर दिए गए हैं. नगर निगम बॉन्ड शहरी लॉकल बॉडी द्वारा स्पेशल प्रोजेक्ट्स के लिए धन जुटाने के लिए जारी किए गए बॉन्ड होते हैं.
लखनऊ नगर निगम (Lucknow Municipal) उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) का बॉन्ड (Bond) जारी करने वाला पहला नगर निगम (Municipal) बन गया है. निगम के 200 करोड़ के बॉन्ड लांच किए हैं. मुंबई में निवेशकों के बीच लगी बोली में नगर निगम के सफल होने के बाद बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) में लखनऊ बॉन्ड को लिस्ट कर दिया गया है. लखनऊ ऐसा करना वाला देश का नौंवा शहर बन गया है. लखनऊ के लिस्टिड होने के बाद कुल बॉन्ड की कीमत 3,600 करोड़ हो गई है. आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के सचिव शंकर मिश्रा ने कहा कि उत्तर प्रदेश के अब गाजियाबाद संयुक्त रूप से वाराणसी, आगरा और कानुपर के साथ बॉन्ड जारी करेगा. आइए जानते हैं बॉन्ड जारी करने वाले देशभर के उन 8 शहरों के बारे में.
लखनऊ के अलावा ये अन्य 8 नगर निगम
नगर निगम बॉन्ड जारी करने वालो में देशभर के आठ शहर अमरावती (2000 करोड़), विशाखापट्टनम ( 80 करोड़), अहमदाबाद ( 200 करोड़), सूरत (200 करोड़), भोपाल (175 करोड़), इंदौर (140 करोड़) पुणे (495 करोड़) और हैदराबाद (200 करोड़) के नाम शामिल हैं. बीएसई के मुताबिक, बीएसई बॉन्ड प्लेटफॉर्म से 3,175 करोड़ के बॉन्ड जुटाए गये हैं जिसमें बाजार की हिस्सेदारी 86 फीसदी है. बता दें कि अहमदाबाद नगर निगम ने जनवरी 1998 में प्रोजेक्ट्स के लिए राज्य सरकार की गारंटी के बिना 100 करोड़ के लिए पहला बॉन्ड जारी किया था.
नगर निगम बॉन्ड क्या हैं?
नगर निगम बॉन्ड शहरी लॉकल बॉडी द्वारा स्पेशल प्रोजेक्ट्स के लिए धन जुटाने के लिए जारी किए गए बॉन्ड होते हैं. सेबी (2015) के नियम के मुताबिक, बॉन्ड जारी करने के लिए दो शर्तों को पूरा करना होता है. पहला, पिछले तीन वित्तिय वर्ष में नगर निगम की नेगेटिव नेट वर्थ (Negative Net Worth) नहीं होनी चाहिए. दूसरा नगर निगमों ने पिछले एक साल में किसी भी लोन चुकाने में कोई चूक न की हो.
नगर निगम फाइनेंस की आवश्यकता क्यों
राज्य के बुनियादी ढांचे, स्कूलों और आवास विकास सहित कई पब्लिक प्रोजेक्ट्स को फंड देने के लिए इसकी जरुरत पड़ती है. शहरों को पानी, स्वच्छता, कचरा और सीवरेज, शहरी परिवहन, रोड लाइट्स, सड़कों के रखरखाव के लिए यह जरूरी होता है. कुछ निगम अब धन जुटाने और शहर के बुनियादी ढांचे के विकास के लिए सार्वजनिक भागीदारी के नए तरीके भी ढूंढ रहे हैं. रेटिंग एजेंसी क्रिसिल द्वारा पिछले साल नवंबर में जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका सबसे बड़ा नगर नगम बॉन्ड बाजार है.
बॉन्ड स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट्स के लिए कैसे मदद करते हैं
भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था के कारण देश में इंफ्रास्ट्रक्टर की मांग में तेजी आई है. एचपीईसी की रिपोर्ट के अनुसार, 20 साल (2012-2031) की अवधि में, शहरी बुनियादी ढांचे के लिए अनुमानित निवेश 39.2 लाख करोड़ रुपये है. इसके लिए सरकारी बजट और पब्लिक सेक्टर की कंपनियां भी इस जरुरत को पूरा नहीं कर सकती है. इसलिए नगर निगम बॉन्ड ही शहरी इंफ्रास्ट्रक्टर सेक्टर के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर निवेश की जरुरत को पूरा करने की क्षमता रखते हैं.
बॉन्ड के अलावा धन जुटाने का अन्य स्रोत?
नगर निगम बॉन्ड के अलावा, वैल्यू कैप्टर फाइनेंसिंग (VCF) भी स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट्स के लिए धन जुटाने का सहारा है. कई राज्य और स्थानीय सरकारें इस फंड संस्था की तलाश में रहती हैं और कई इससे जुड़े हुए भी हैं.
निवेशकों के लिए कर प्रोत्साहन
भारत में नगर निगम बॉन्ड का बाजार अहम रूप से विकसित नहीं हुआ है लेकिन नगर निगम के बॉन्ड लंबी अवधि के लिए धन जुटाने में मददगार साबित होते हैं जो सस्ती लागत पर अहम प्रोजेक्ट्स जैसे कि सड़कों, पुलों के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण होते हैं. कोलियर इंटरनेशनल में कैपिटल मार्केट्स एंड इनवेस्टमेंट सर्विसेज, इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर पीयूष गुप्ता ने कहा पैसों और पारदर्शिता की कमी, खराब सिस्टम और प्रक्रियाओं में लापरवाही के कारण नगर निगम बॉन्डों में बढ़ोतरी नहीं हो रही है. इसके लिए हाल के दिनों में केंद्र और विभिन्न सरकारों ने कदम उठाए हैं जैसे निवेशकों के लिए कर प्रोत्साहन, छोटे आकार की पूंजी को निजी प्लेसमेंट के लिए बढ़ाने की अनुमति देना.