रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) के बाद चीन ने भी अमेरिका के प्रेजिडेंट इलेक्ट जो बाइडन पर निशाना साधा है. चीन के एक सलाहकार ने बाइडन को न सिर्फ कमजोर राष्ट्रपति बताया है बल्कि कहा है कि वे तो जंग भी छेड़ सकते हैं.
तिब्बत की निर्वासित सरकार के प्रमुख के व्हाइट हाउस पहुंचने से भड़का चीन अब अमेरिका के प्रेजिडेंट इलेक्ट जो बाइडन (Joe Biden) को लेकर हमलावर नज़र आ रहा है. चीन ने उन अटकलों को खारिज कर दिया है जिनमें बाइडन के कार्यकाल में वाशिंगटन और बीजिंग के बीच अच्छे रिश्ते बनने की उम्मीद की जा रही थी. एक चीनी सलाहकार ने कहा है कि निश्चित रूप से जो बाइडन अमेरिका के सबसे कमजोर राष्ट्रपति हैं और उनके दौर में संबंध बेहतर होना सबसे मुश्किल होगा.
चीनी सलाहकार झेंग योंगशिय ने कहा कि दोनों देशों और दुनिया को भी फिलहाल यह भ्रम छोड़ देना चाहिए. सलाहकार ने कहा कि बाइडन प्रशासन में दोनों देशों के बीच संबंधों में कोई सुधार होने वाला नहीं है. बीजिंग को एक कठिन दौर के लिए तैयार रहना चाहिए. उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच संबंध और तल्ख होंगे.
चीनी सलाहकार का यह बयान काफी अहम है. चीनी सलाहकार ने अपने इस बयान से यह संकेत दे दिया है कि अमेरिका और चीन के बीच मनमुटाव दो नेताओं के बीच का मामला नहीं है, बल्कि यह मतभेद वैश्विक चुनौतियों एवं प्रभाव को लेकर है. चीन के सलाहकार के इस बयान के आखिर क्या निहितार्थ है? वे कौन से कारण हैं, जो बाइडन प्रशासन में भी यूं ही चलते रहेंगे.?
झेंग योंगशिय ने कहा कि निश्चित रूप से जो बाइडन अमेरिका के सबसे कमजोर राष्ट्रपति हैं. उनके समक्ष घरेलू और राजनयिक मोर्चे पर अनेक चुनौतियां विकराल रूप से खड़ी हैं. उन्होंने कहा कि बाइडन व्हाइट हाउस में प्रवेश करने के बाद घरेलू समस्याओं के निस्तारण के बजाए अमेरिकी जनता का ध्यान अन्य समस्याओं की खीचेंगे. ऐसे में बाइडन चीन के प्रति अमेरिकी जनता की नाराजगी का फायदा उठा सकते हैं.
झेंग ने कहा कि अमेरिकी समाज बिखर रहा, बाइडन इसके बारे में कुछ नहीं कर सकते. बाइडन के पास अमेरिका की इस आंतरिक समस्या का कोई समाधान नहीं है. वह इस समस्या से ध्यान भटकाने के लिए चीन की ओर उन्मुख हो सकते हैं. चीन की दीर्घकालिक रणनीति पर सलाह देने के लिए अगस्त में राष्ट्रपति शी जिनपिंग द्वारा आयोजित एक संगोष्ठी में भाग लेने वाले झेंग ने कहा कि चीन को लेकर अमेरिका में दोनों प्रमुख राजनीतिक दल एक मत हैं.
झेंग ने अंडरस्टैंडिंग चाइना कांफ्रेंस में एक साक्षात्कार में कहा कि दोनों देशों के बीच अच्छे पुराने दिन खत्म हो गए हैं. उन्होंने कहा कि अमेरिका कई वर्षों तक कोल्ड वॉर की मानसिकता में रहा है. अब भी वह उसी मानसिकता के साथ जीना चाहता है. उसने चीन के साथ भी एक नया कोल्ड वॉर शुरू किया है.
झेंग ने कहा कि कोविड-19 के संचालन, अमेरिका और चीन व्यापार और मानवाधिकार समेत ऐसे तमाम मुद्दे हैं, जहां दोनों देशों के बीच गतिरोध बना रहेगा.उन्होंने कहा कि चीन के खिलाफ अमेरिका में 300 से ज्यादा विधेयक हैं. इन विधेयकों को रिपबिल्कन और डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से तैयार किए गए हैं. झेंग ने उदाहरण पेश करते हुए कहा कि हांगकांग में मानवाधिकार और लोकतंत्र अधिनियम पर रिपब्लिकन से ज्याद डेमोक्रेटिक पार्टी ने दिलचस्पी दिखाई थी. उन्होंने कहा कि कांग्रेस में चीन के खिलाफ इस प्रस्ताव का रिपब्लिकन की मार्को रुबिया और डेमोक्रेटिक पार्टी की नेता व अमेरिका की होने वाली उप राष्ट्रपति कमला हैरिस ने पेश किया. उन्होंने कहा कि इस विधेयक पर राष्ट्रपति ट्रंप ने अनिच्छा से हस्ताक्षर किए थे.
बता दें कि चीन तिब्बत के मसले पर अमेरिका से ख़ासा नाराज़ है. हांगकांग और ताइवान में चीन को घेरने के बाद अब केंद्रीय तिब्बत प्रशासन (सीटीए) ने एक बयान में कहा कि डॉ. लोबसांग सांगाय ने शुक्रवार को अमेरिका के वाइट हाउस में प्रवेश किया जो एक ऐतिहासिक क्षण था. पिछले छह दशक में पहली बार सीटीए के प्रमुख को व्हाइट हाउस में आमंत्रित किया गया है. सांगाय ने एक ट्वीट में किया, वाइट हाउस में औपचारिक रूप से प्रवेश करने वाला केंद्रीय तिब्बत प्रशासन का पहला राजनीतिक प्रमुख बनना बड़े सम्मान की बात है.
सीटीए का कार्यालय भारत के धर्मशाला में है.सीटीए के अध्यक्ष सांगाय को तिब्बत मामलों के लिए अमेरिका के नवनियुक्त विशेष समन्वयक से मुलाकात के लिए शुक्रवार को वाइट हाउस आमंत्रित किया गया था. अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने 15 अक्टूबर को वरिष्ठ राजनयिक डेस्ट्रो को तिब्बत मामलों के लिए विशेष समन्वय नियुक्त किया था. डेस्ट्रो अन्य विषयों के साथ ही चीन की कम्युनिस्ट सरकार और दलाई लामा के बीच संवाद आगे बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करेंगे.
चीन ने डेस्ट्रो की नियुक्ति की आलोचना करते हुए कहा है कि यह तिब्बत को अस्थिरता प्रदान करने के उद्देश्य से की गई राजनीतिक तिकड़म है. डेस्ट्रो की नियुक्ति के बाद सांगाय ने उनसे मुलाकात कर तिब्बत के हालात पर चर्चा की थी. डेस्ट्रो-सांगाय की मुलाकात के बारे में पूछे जाने पर चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने पिछले महीने एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा, शिजांग (तिब्बत) के मामले पूरी तरह चीन का आंतरिक विषय है. किसी बाहरी शक्ति को इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए.