छत्तीसगढ़ में एससी/एसटी अफसरों की कुर्सी पर तलवार लटकने लगी है। बिलासपुर हाईकोर्ट में दायर याचिका में बताया गया है कि पदोन्नति में आरक्षण नियम 2003 की कंडिका 5 को खत्म किए जाने के बाद भी एससी/एसटी कर्मचारियों को रिवर्ट कर उनकी सीनियारिटी वापस नहीं ली गई है। इस पर हाईकोर्ट ने पदोन्नति में आरक्षण की वर्तमान स्थिति जानने के आदेश दिए हैं। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच में हुई।
छत्तीसगढ सर्वहित संघ के महासचिव आशीष अग्निहोत्री ने GAD (सामान्य प्रशासन विभा) सेक्रेटरी के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की है। इसमें बताया है हाईकोर्ट ने 4 फरवरी 2019 को पदोन्नति में आरक्षण के नियम से कंडिका 5 को खत्म किया था। अक्टूबर 2019 में शासन ने नया नियम 5 जारी किया। फिलहाल इस नए नियम पर स्थगन आदेश दिया गया है और सुनवाई लंबित है।
याचिका में कहा गया- विधि विरुद्ध नया प्रमोशन रोस्टर लागू किया गया
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता रोहित शर्मा ने कहा शासन ने खत्म किए नियम के आधार पर की गई कार्रवाई को संरक्षित नहीं किया। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के 2016 में दिए गए फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ में 1997 से अब तक प्रमोशन में मिले सभी रिजर्वेशन को पलटने की जरूरत रेखांकित की गई है। हाईकोर्ट के फैसले को लागू करते हुए प्रमोशन रोस्टर खत्म करने की जगह विधि-विरुद्ध नया रोस्टर लागू किया।
मामले की अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद होगी
याचिका चार माह पहले दाखिल की गई थी, इसलिए चीफ जस्टिस ने कहा कि अवमानना नोटिस जारी करने से पहले राज्य शासन का पक्ष सुना जाना उचित होगा। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को आदेश दिया कि वह महाधिवक्ता कार्यालय को याचिका की एक प्रति उपलब्ध कराए ताकि वह शासन से वर्तमान स्थिति के बारे में जानकारी ले सके। मामले में अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद होगी।