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मन की बात:प्रदर्शनों के बीच मोदी बोले- संसद ने कृषि सुधारों को कानूनी रूप दिया, इससे किसानों को हक और मौके मिले

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को रेडियो कार्यक्रम मन की बात को संबोधित किया। दिल्ली की सीमा पर पंजाब और हरियाणा के हजारों किसान जुटे हैं। इसको लेकर मोदी ने कहा कि संसद में कृषि सुधारों को अमली जामा पहनाया गया। इससे किसानों को अधिकार और अवसर मिले। मोदी ने अपनी इस मन की बात में हैरिटेज, लोकल के लिए वोकल, पक्षियों, भारतीय संस्कृति जैसे कई विषयों पर चर्चा की।

मोदी की 10 खास बातें

1. किसानों के लिए
भारत में खेती और उससे जुड़ी चीजों के साथ नए आयाम जुड़ रहे हैं। बीते दिनों हुए कृषि सुधारों ने किसानों के लिए नई संभावनाओं के द्वार भी खोले हैं। बरसों से किसानों की जो मांग थी, जिन मांगों को पूरा करने के लिए किसी समय में हर राजनीतिक दल ने उनसे जो वायदा किया था, वे मांगें पूरी हुई हैं। इन सुधारों से किसानों के बंधन खत्म हुए हैं। कृषि की पढ़ाई कर युवा अपने आसपास के किसानों को उनसे जुड़ी बातें समझाएं। इससे किसानों को फायदा होगा।

2. अरबिंदो के बहाने वोकल फॉर लोकल का मंत्र
आज जब हम आत्मनिर्भर भारत की बात कर रहे हैं, तब महर्षि अरबिंदो याद आते हैं। उन्होंने खुद की क्षमता पर भरोसा करने की बात कही। अरबिंदो ने विदेशों से सीखने का विरोध नहीं किया। यही आत्मनिर्भर भारत की वोकल फॉर लोकल भावना है। वे कहते थे कि राष्ट्र की शिक्षा स्टूडेंट की दिल-दिमाग की ट्रेनिंग होनी चाहिए। उन्होंने शिक्षा की जो बात तब कही थी, वह आज हम नई शिक्षा नीति के माध्यम से कर रहे हैं।

3. हैरिटेज को सहेजने के प्रयास जारी
कोरोनाकाल के बावजूद हमने हैरिटेज वीक मनाते देखा। दिल्ली में हमारे संग्रहालयों में कई सराहनीय प्रयास किए गए। अब आप घर बैठे इसे देख पाएंगे। अजंता की गुफाओं की पेंटिंग्स को संजोने का काम जारी है। प्रकृति को देखने के नजरिए में बदलाव आया है। इंटरनेट चेरी ब्लॉसम से भरा पड़ा है। देखने से लगता है कि इसमें जापान की फोटो हैं, पर ये शिलॉन्ग की तस्वीरें हैं।

4. बर्ड वॉचिंग पर डॉ. सलीम अली का जिक्र
डॉ. सलीम अली की 125वीं जयंती मनाई जा रही है। उन्होंने पक्षियों के लिए काफी काम किया है। भारत में बहुत सी बर्ड वॉचिंग संस्थाएं सक्रिय हैं। बीते दिनों केवडिया में मुझे भी पक्षियों के बीच समय बिताने का मौका मिला था। कई लोग पक्षियों की खोज में भारत आए और यहीं के होकर रह गए।

5. प्रेरक विदेशी
जोनस ब्राजील में लोगों को उपनिषद पढ़ाते हैं। वे 4 साल तमिलनाडु के गुरुकुल में रहे। वे स्टॉक से लेकर स्प्रिचुअलिटी तक अपना मैसेज टेक्नोलॉजी से आगे बढ़ाते हैं। वे 1.5 लाख स्टूडेंट्स को पढ़ा चुके हैं। न्यूजीलैंड के एक सांसद गौरव शर्मा ने संस्कृत में शपथ ली। हम कामना करते हैं कि वे नई उपलब्धियां प्राप्त करेंगे।

6. गुरुपर्व पर प्रकाश फैलेगा
कल गुरुनानक देव जी का 551वां प्रकाश दिवस मनाएंगे। दुनियाभर में उनके संदेश सुनाई देते हैं। वे कहते थे कि सेवक का काम सेवा करना है। बीते सालों में सेवा करने के कई मौके आए और गुरु साहब ने हमसे कई सेवाएं लीं। गुरु साहब की कृपा रही कि उन्होंने मुझे सेवा के लिए करीब से जोड़ा। कच्छ के लखपत गुरुद्वारा की मरम्मत कराई गई। इसकी यूनेस्को ने भी तारीफ की। इस गुरुद्वारे में असीम शांति मिलती है।

7. करतारपुर कॉरिडोर का खुलना ऐतिहासिक
पिछले साल करतारपुर कॉरिडोर का खुलना ऐतिहासिक रहा। ये सौभाग्य है कि हमें दरबार साहिब की सेवा का सौभाग्य मिला। इससे दुनियाभर की संगत पास आ गई है। मानवता की सेवा की ये परंपरा हमारे लिए प्रेरणा का काम करती है।

8. मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा भारत आ रही
देश के लोगों को एक खुशखबरी देना चाहता हूं। मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा कनाडा से भारत आ रही है। यह 100 साल पहले 1913 में वाराणसी से चुराकर भेजी गई थी। मां अन्नपूर्णा का काशी से गहरा संबंध रहा है। इस प्रतिमा का वापस आना हमारे लिए सुखद है। ऐसा करने वाले गिरोह पर सख्ती लगाई जा रही है।

9. नए छात्रों को सीनियर्स से सीखने का मौका
पिछले दिनों कई यूनिवर्सिटीज की एजुकेशनल एक्टिविटीज से जुड़ने का मौका मिला। एक बात जानने में मेरी यह रुचि रहती है कि किसी संस्थान के एल्युमिनाई कौन हैं? स्कूल-कॉलेज से निकलने का बाद दो चीजें कभी खत्म नहीं होती। पहला- शिक्षा का प्रभाव, दूसरा- अपने स्कूल-कॉलेज से लगाव। इसी से इस बात का जन्म होता है कि हम अपने संस्थानों के लिए कुछ करना चाहते हैं। आज एल्युमिनाई अपने संस्थानों को बहुत कुछ दे रहे हैं। जब कुछ लौटाने की बात आती है तो कुछ छोटा-बड़ा नहीं होता। अपने संस्थान में बिल्डिंग बनवाना हो, स्किल डेवलपमेंट करना हो, इसमें पुराने छात्र अहम रोल निभा रहे हैं।

10. कोरोना पर
इस बात की चर्चा हम भविष्य में नहीं करना चाहेंगे। करीब एक साल पहले हमें कोरोनावायरस के बारे में पता चला था। अब वैक्सीन की चर्चा होने लगी है, लेकिन लापरवाही घातक है।

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