दोनों पक्षों के बीच गुरुवार को चौथे दौर की बैठक हुई थी, जो कृषि कानूनों (Agriculture Laws) पर जारी गतिरोध समाप्त करने में विफल रही. किसान इन कानूनों को समाप्त करने की अपनी मांग पर अड़े हुए थे.
किसान अपनी मांगों पर अड़े हुए. बीते गुरुवार को भी किसान और सरकार के बीच हुई चौथे दौर की बैठक भी बेनतीजा ही रही. हालांकि, इन आंदोलनों को लेकर किसानों का कहना साफ है कि वे तब तक पीछे नहीं हटेंगे जब तक कानून वापस नहीं ले लिया जाता. अखिल भारतीय किसान सभा (Akhil Bhartiya Kisan Sabha) के अधिकारियों ने शनिवार को कहा कि नए कृषि कानूनों को वापस लिए जाने के बाद ही यह किसान आंदोलन समाप्त होगा.
अखिल भारतीय किसान सभा के वित्त सचिव कृष्ण प्रसाद ने कहा, ‘हमारे दिमाग में इस बात को लेकर कोई शंका नहीं है कि इन कानूनों को वापस लिए जाने के बाद ही यह आंदोलन समाप्तहोगा. हम यहां से नहीं हिलेंगे. हम चाहते हैं कि सरकार अपने प्रस्ताव को संसद (Parliament) में ले जाए और इस मुद्दे पर संसदीय समिति चर्चा करे. हम लोगों को इस कानून को वापस लिए जाने से कम कुछ भी मान्य नहीं होगा.’ भयंकर सर्दी के बीच हजारों किसान केंद्र सरकार (Central Government) के कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करते हुए पिछले नौ दिनों से दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर डटे हुए हैं.
प्रसाद ने कहा, ‘इस मौके पर ट्रांसपोर्ट यूनियनों और खुदरा व्यापारियों और अन्य सबंधित समूहों ने हमारे साथ एकजुटता दिखायी है. हमारा आंदोलन केवल किसानों के लिए नहीं है.’ प्रसाद ने दावा किया कि इन कानूनों से कृषि में विदेशी हस्तक्षेप को अनुमति मिलेगी और कहा कि इनसे कृषि क्षेत्र में कॉरपोरेट का राज हो जाएगा. दोनों पक्षों के बीच गुरुवार को चौथे दौर की बैठक हुई थी, जो कृषि कानूनों पर जारी गतिरोध समाप्त करने में विफल रही. किसान इन कानूनों को समाप्त करने की अपनी मांग पर अड़े हुए थे.
अखिल भारतीय किसान सभा ने प्रदर्शनकारी किसानों के खिलाफ देश भर में दर्ज मामलों को बिना शर्त वापस लिये जाने की भी मांग की. किसान संगठन ने ट्वीट किया, ‘किसान विरोधी कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों को डराने धमकाने के लिए दिल्ली पुलिस का इस्तेमाल करने के लिए अखिल भारतीय किसान सभा मोदी सरकार की कड़ी निंदा करती है.’