बता दें कि इस तरह के विमानवाहक पोत को कैबिनेट मंजूरी समेत तमाम प्रक्रियाओं से गुजरने के बार आमलिजामा पहनाए जाने में 18 साल तक का समय लग जाता है. इससे पहले जब आईएनएस विक्रांत को नौसेना में शामिल किया गया था उस वक्त भी काफी लंबा समय लग गया था.
भारत और चीन के बीच पिछले कई महीनों से चल रहे विवाद को देखते हुए भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह ने सरकार से विमावाहनक पोत की जरूरत के बारे में अपनी बात रखी है. बताया जा रहा है कि नौसेना प्रमुख की बात को प्रधानमंत्री नरेंद्र मेादी के पास तक पहुंचा दिया गया है.
बता दें कि इस तरह के विमानवाहक पोत को कैबिनेट मंजूरी समेत तमाम प्रक्रियाओं से गुजरने के बार आमलिजामा पहनाए जाने में 18 साल तक का समय लग जाता है. इससे पहले जब आईएनएस विक्रांत को नौसेना में शामिल किया गया था उस वक्त भी काफी लंबा समय लग गया था. वहीं इस दौर में भारत के लिए सबसे बड़ा खतरा बन चुका चीन अब अपना छठा
विमानवाहक पोत समुद्र में उतारने की तैयारी कर रहा है. ऐसे में एशिया की सुरक्षा को मद्देनजर रखते हुए भारत सरकार को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है.
नौसेना दिवस के मौके पर एडमिरल करमबीर सिंह ने कहा, भारत अगर पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनना चाहता है तो उसे खुद की सुरक्षा करने के अलावा दुनिया के सामने अपनी सामरिक शक्ति का भी प्रदर्शन करना होगा. एडमिरल करमबीर सिंह की ओर से तीसरे विमानवाहक पोत की जरूरत की बात करने के बाद से ही इस पर बहस तेज हो गई है.
इसके साथ ही नौसेना के सामने ये भी चुनौती है कि वह जिस विमावाहनक पोत की बात कर रहा है वह लंबी दूरी के स्टैंड-ऑफ हथियारों के युग में कितने समय तक टिक पाएगा. बता दें कि चीन के पास डीएफ-21 मिसाइल है, जिसकी रेंज 1700 किमी है. चीन में इसे ‘शिप किलर’ का नाम दिया है. भारतीय नौसेना ने कहा है कि उसे शक्ति प्रदर्शन के दौर में केवल भारतीय प्रायद्वीप तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए बल्कि समुद्र में उसकी मौजूदगी लंबी दूरी तक होनी चाहिए. वहीं वर्तमान में भारत कीआर्थिक को देखते हुए ऐसा नहीं लगता है कि सरकार 10 बिलियन डॉलर (70 हजार करोड़ रुपये) के विमानवाहक पोत को मंजूरी दे पाएगा.