मुंबई
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) की सांसद सुप्रिया सुले ने कहा है कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया है कि एनसीपी के दोनों गुटों के साथ समान व्यवहार किया जाए. उन्होंने कहा कि जिस तरह उनकी पार्टी को नया चुनाव चिन्ह दिया गया है, उसी तरह अजित पवार के नेतृत्व वाले प्रतिद्वंद्वी गुट के लिए भी ऐसा ही किया जाना चाहिए. लोकसभा सांसद सुले ने शनिवार को मीडिया से बात करते हुए कहा कि एनसीपी (SP) ने सुप्रीम कोर्ट से "प्राकृतिक न्याय" की मांग की है. NCP (SP) ने यह कदम राज्य विधानसभा चुनावों से पहले उठाया गया है जिनके नवंबर में होने की संभावना है.
जुलाई 2023 में अजित पवार कई अन्य विधायकों के साथ शिवसेना-भाजपा सरकार में शामिल हो गए, जिससे शरद पवार द्वारा स्थापित राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) में विभाजन हो गया. शरद पवार द्वारा स्थापित एनसीपी का विभाजन से पहले चुनाव चिन्ह 'घड़ी' था. इस साल फरवरी में चुनाव आयोग ने अजित पवार के नेतृत्व वाले गुट को एनसीपी नाम और 'घड़ी' चिन्ह आवंटित किया था. 19 मार्च को शीर्ष अदालत ने शरद पवार गुट को लोकसभा चुनावों से पहले अपने नाम के रूप में 'राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-शरदचंद्र पवार' और चुनाव चिन्ह 'तुरहा बजाता हुआ आदमी' (एक पारंपरिक तुरही) का इस्तेमाल करने की अनुमति दे दी थी.
सुप्रीम कोर्ट में 25 सितंबर को होगी सुनवाई
यह आदेश शरद पवार गुट की याचिका पर के बाद आया था, जिसमें अजित पवार गुट को चुनाव आयोग द्वारा आवंटित चुनावी सिंबल 'घड़ी' का इस्तेमाल करने से रोकने की मांग की गई थी. पवार गुट का मानना था कि इस आधार पर कि यह समान अवसर प्रदान करने में बाधा उत्पन्न कर रहा था.शरद पवार के नेतृत्व वाली पार्टी ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और मांग की कि एनसीपी के दोनों गुटों को नए चुनावी सिंबल दिए जाएं. शीर्ष अदालत ने याचिका पर सुनवाई के लिए 25 सितंबर की तारीख तय की है.