मंडी
हिमाचल प्रदेश के मंडी से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सांसद कंगना रनौत ने मांग की है कि उन 3 कृषि कानूनों को दोबारा लाना चाहिए जिन्हें केंद्र सरकार ने भारी विरोध के बाद वापस ले लिया था। कंगना ने कहा कि तीनों कानून किसानों के हित में थे और उन्हें खुद इसे वापस लाने की मांग करनी चाहिए। अपने बयानों को लेकर अक्सर चर्चा में रहने वाली कंगना ने कहा है कि हो सकता है कि उनकी इस बात पर विवाद हो, लेकिन इसे लागू करना चाहिए। कंगना ने मंडी के नाचन विधानसभा में कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की और सदस्यता अभियान में हिस्सा लिया। इस दौरान मीडिया से बातचीत करते हुए रनौत ने जो कुछ कहा उस पर एक बार फिर विवाद हो सकता है, जिसकी शुरुआत कांग्रेस के विरोध के साथ हो चुका है। देश की मुख्य विपक्षी पार्टी ने कंगना रनौत के बयान पर आपत्ति जताई है।
कांग्रेस ने एक्स पर कहा, 'किसानों पर लादे गए 3 काले कानून वापस लाने चाहिए। BJP की सांसद कंगना रनौत ने यह बात कही। देश के 750 से ज्यादा किसान शहीद हुए, तब जाकर मोदी सरकार की नींद टूटी और ये काले कानून वापस हुए। अब BJP के सांसद फिर से इन कानून की वापसी का प्लान बना रहे हैं। कांग्रेस किसानों के साथ है। इन काले कानून की वापसी अब कभी नहीं होगी, चाहे नरेंद्र मोदी और उनके सांसद जितना जोर लगा लें।
क्या कहा कंगना रनौत ने?
कंगना रनौत ने मीडिया से बातचीत के दौरान अपना जुड़ाव किसान परिवार से बताया। उन्होंने कहा, 'किसानों के जो कानून हैं, जो वापस हो गए हैं, मुझे लगता है वे फिर से लगने चाहिए। हो सकता है यह विवादित हो जाए, लेकिन मुझे लगता है कि किसानों के हितकारी कानून वापस आने चाहिए और किसानों को खुद इसकी मांग करनी चाहिए। ताकि हमारे किसान, जैसे बाकी जगह समृद्धि हो रही है, किसानों की समृद्धि में ब्रेक नहीं लगना चाहिए। देश के विकास में किसान मजबूती के मुख्य स्तंभ हैं। मैं चाहती हूं कि वे खुद अपील करें कि हमारे जो तीन कानून, जो कुछ राज्यों में आपत्ति जताई गई थी, मैं हाथ जोड़कर उनसे विनती करती हूं कि सब किसानों के हित को ध्यान में रखकर वे कानून वापस मांगें।'
भारी विरोध के बाद सरकार ने वापस लिए थे कानून
मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान तीन कृषि कानूनों को संसद से पास कराया था। कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) अधिनियम, 2020; कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार अधिनियम, 2020; और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम, 2020 नाम के इन कानूनों का खूब विरोध रहा। दिल्ली की सीमाओं पर किसान एक साल से अधिक समय तक धरने पर बैठे रहें। अंत में नवंबर 2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कानूनों को यह कहते हुए निरस्त करने की घोषणा की कि वे किसानों को समझा नहीं पाए।