भोपाल के सुभाष एक्सीलेंस स्कूल के बाहर 12वीं के कुछ विद्यार्थी पहुंच गए हैं। बातचीत में कहा- आज से स्कूल खुल गए हैं, हम पढ़ाई करने आए हैं। इस साल बोर्ड है और ऑनलाइन क्लास में पढ़ाई संतोषजनक नहीं हो पा रही है। क्वींस मैरी स्कूल में समय से पहले ही पांच विद्यार्थी पहुंच गए। उन्होंने कहा कि हम तो रोज स्कूल आते हैं, लेकिन तब हम डाउट क्लीयरिंग के लिए आते थे, आज से कक्षाएं रेगुलर हो गई हैं, इसलिए अब क्लास में बैठेंगे। इन सभी बच्चों ने मास्क लगाया है और डिस्टेंसिंग का पालन भी कर रहे हैं।
बच्चों को अपनी पढ़ाई की चिंता है, तो उनके पैरेंट्स को कोरोना से खतरे की। हालांकि अभिभावक चाहते हैं कि बच्चे की पढ़ाई में कोई कमी न रहे, जिससे बोर्ड एग्जाम में अच्छे नंबर आएं। बता दें कि मध्य प्रदेश में शुक्रवार से 9वीं से 12वीं तक के बच्चों के लिए स्कूल रेगुलर हो गए। हालांकि पहले दिन हिचकते हुए 25 फीसदी से कम विद्यार्थी पहुंचे। कुछ स्कूलों में क्लास के बजाए केवल पैरेंट-टीचर मीटिंग (PTM) कराई गई।
शुक्रवार को पहले दिन जिन स्कूलों में विद्यार्थी पहुंचे, वहां उन्हें कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए एक बेंच छोड़कर बिठाया गया, जबकि कुछ स्कूलों में क्लास के बजाए पैरेंट-टीचर मीटिंग कराई गई। इसके आदेश स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने गुरुवार को ही जारी कर दिए थे। हालांकि आदेश में सभी स्कूलों को पहले दिन PTM कराने के आदेश दिए गए थे।
स्कूलों ने फिलहाल विद्यार्थियों को ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीके पढ़ाई की छूट दी है। साथ ही, पैरेंट्स भी ऑनलाइन और ऑफलाइन तरीके से PTM में भाग ले सकते हैं। सरोजिनी नायडू कन्या हायर सेकेंडरी स्कूल में PTM में भाग लेने के लिए 8-10 पैरेंट्स पहुंचे। मीटिंग में बच्चों को भी शामिल किया गया। उनकी राय भी ली गई, जबकि सुभाष एक्सीलेंस स्कूल, नवीन हायर सेकेंडरी स्कूल में कक्षाएं लगाई गईं।
पैरेंट्स की चिंता- कोविड में रिस्क नहीं ले सकते
पैरेंट्स ने अपनी चिंताएं शिक्षकों और स्कूल के सामने रखीं। कई पैरेंट्स ने अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजा है। उनका कहना है कि जब तक महामारी है, तब तक बच्चों को नहीं भेजेंगे। हम उनकी ऑनलाइन पढ़ाई ही कराएंगे। जिंदगी का रिस्क नहीं ले सकते। वहीं, शिक्षक उन्हें समझाइश देते रहे। सरोजिनी नायडू के शिक्षकों ने पैरेंट्स को विश्वास दिलाया कि उनके स्कूल में किसी तरह की कोई समस्या नहीं है। कोविड गाइडलाइन के तहत गेट पर ही सैनिटाइजर और कक्षाओं में एक बेंच छोड़कर बैठने की व्यवस्था की गई है।
मार्च से अब तक 1192 बच्चे कोविड की चपेट में आए
कोरोना संक्रमण के बीच मप्र सरकार ने शुक्रवार से 10वीं और 12वीं की कक्षाओं के लिए स्कूल खोलने की इजाजत दे दी है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े बताते हैं कि मार्च से अब तक राजधानी में 13 से 17 साल की उम्र के 1192 बच्चे कोरोना की चपेट में आ चुके हैं और एक की मौत हो चुकी है।
स्कूल खुल जरूर गए हैं, लेकिन अपने बच्चों की सेहत को लेकर फिक्रमंद पैरेंट्स असमंजस में हैं कि उन्हें स्कूल भेजें या नहीं। उनका कहना है कि यदि स्कूल में बच्चों को कोराेना हो जाता है, तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? कई अभिभावकों ने राष्ट्रीय और राज्य बाल आयोग में स्कूल खोले जाने का विरोध करते हुए शिकायत की है।
स्कूलों में SOP के अनुसार व्यवस्थाएं
स्कूल शिक्षा विभाग ने शासकीय स्कूलों के रि-ओपनिंग के लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) जारी किया है। इसमें स्पष्ट किया गया है कि हर रोज स्कूल में सभी शिक्षण संबंधी कार्य क्षेत्र, लैब, पीने के पानी, हाथ धोने के स्टेशनों, वॉशरूम, लैबोरेटरी और अन्य सामान उपयोग में आने वस्तुओं एवं क्षेत्रों को एक फीसदी सोडियम हाइपो क्लोराइट सॉल्यूशन से साफ और सैनिटाइज किया जा रहा है।