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Loan लेने वालों के लिए जरूरी खबर, Loan moratorium स्कीम से बैंकों पर हुआ ये असर

आरबीआई (RBI) ने बीते मंगलवार को देश की बैंकिंग (Banking) व्यवस्था की सालाना रिपोर्ट जारी की है. जिसमें आरबीआई ने कहा है कि कोरोना महामारी (Corona epidemic) और लोन मोरेटोरियम (Lone moratorium) स्कीम से भारतीय बैंकों और एनबीएफसी (गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां) पर दूरगामी असर पड़ेगा.

कोरोना महामारी की वजह से केंद्र सरकार और आरबीआई ने लोगों को लोन मोरेटोरियम का सुविधा दी थी. जिसका फायदा 40 फीसदी कर्जधारकों ने उठाया. लेकिन इस स्कीम से बैंकों पर क्या असर हुआ इसके बारे में अभी तक किसी ने चर्चा नहीं की है. लेकिन हम आपको आरबीआई की एक रिपोर्ट के हवाले से बताने जा रहे है कि, लोन मोरेटोरियम स्कीम से आने वाले दिनों में बैंकों पर बड़ा असर पड़ने वाला है. इसके लिए आरबीआई ने बैंकों से तैयार रहने के लिए भी कहा है. आइए जानते है आरबीआई ने अपनी रिपोर्ट में क्या कहा है

बैंकों पर होगा दूरगामी असर- आरबीआई ने बीते मंगलवार को देश की बैंकिंग व्यवस्था की सालाना रिपोर्ट जारी की है. जिसमें आरबीआई ने कहा है कि कोरोना महामारी और लोन मोरेटोरियम स्कीम से भारतीय बैंकों और एनबीएफसी (गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां) पर दूरगामी असर पड़ेगा. आरबीआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सबसे ज्यादा असर स्माल फाइनेंस बैंक, पेमेंट बैंक, सहकारी बैंक, एनबीएफसी पर होगा. क्योंकि इन सभी के पास आय के सीमित स्त्रोत होते हैं. वहीं आरबीआई के अनुसार अर्थव्यवस्था व बैंकिंग सिस्टम में कई बदलाव दिखाई देंगे और बैंकों को इनका सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए.

बैंकिंग सिस्टम में आएगा बदलाव- आरबीआई के रिपोर्ट के अनुसार बैंकिंग सिस्टम में तकनीक का उपयोग बढ़ने से भी कई तरह की चुनौतियां आएंगी. नए तरह का बैंकिंग मॉडल सामने आएगा. रिपोर्ट में बताया गया है कि सितंबर, 2020 में समाप्त तिमाही में भारतीय बैंकों में फंसे कर्जे (एनपीए) का स्तर घटकर 7.5 फीसद पर आ गया है, लेकिन यह वस्तु स्थिति नहीं है.

फिलहाल बैंकों पर नहीं दिखा कोई असर- आरबीआई की सालाना रिपोर्ट के अनुसार फिलहाल एनपीए की वास्तविक स्थिति बैंकों के हिसाब-किताब पर नहीं दिखाई दे रही है. इसके साथ ही कोविड का असर एनपीए के आंकड़ों पर अभी नहीं दिखा है. कुछ बैंकों ने जो आंकड़े दिए हैं, उनके अध्ययन से लगता है कि कोविड की वजह से बैंकों के ग्रॉस एनपीए (कुल एडवांस के अनुपात में फंसे कर्जे का स्तर) 0.10 फीसद से लेकर 0.66 फीसद तक बढ़ सकता है. वहीं आरबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि बैंकों के एसेट क्वालिटी में गिरावट आएगी और भविष्य में उनके राजस्व पर भी असर होगा. 

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