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सरकार की किसानों से बातचीत का नौंवा दौर, विज्ञान भवन में पहुंचा लंगर

Kisan Andolan: कृषि कानूनों पर सरकार और किसान संगठनों की नौवीं वार्ता के दौरान विज्ञान भवन में किसानों के लिए भोजन गुरुद्वारे की ओर से भेजा गया है.

कृषि कानूनों पर सरकार और किसान संगठनों की नौवीं वार्ता के दौरान विज्ञान भवन में किसानों के लिए भोजन गुरुद्वारे की ओर से भेजा गया. न्यूज 18 के पूछने पर गाड़ी से भोजन लेकर जा रहे लोगों ने दावा किया कि किसान आज भी गुरुद्वारे का भोजन करेंगे.

पिछली बातचीत के दौरान भी किसानों ने सरकार की ओर से बैठक के बीच में परोसे जाने वाला भोजन नहीं किया. बल्कि अपना लाया हुआ खाना ही खाया. पिछली बातचीत के दौरान सरकार की ओर से वार्ता कर रहे मंत्रियों ने सद्भाव दिखाते हुए किसानों के बीच आकर किसानों का ही भोजन किया था.

कृषि कानूनों पर किसान यूनियनों के साथ केंद्रीय मंत्रियों की नौवें दौर की वार्ता शुरू
गौरतलब है कि कृषि कानूनों पर एक महीने से अधिक समय से जारी गतिरोध को दूर करने के लिए प्रदर्शनकारी किसान संगठनों के प्रतिनिधियों और तीन केंद्रीय मंत्रियों के बीच नौंवे दौर की वार्ता शुक्रवार को शुरू हुई.
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, रेलवे, वाणिज्य एवं खाद्य मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्य मंत्री तथा पंजाब से सांसद सोम प्रकाश करीब 40 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ विज्ञान भवन में वार्ता कर रहे हैं.

वार्ता निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार होगी- तोमर
इससे पहले, आठ जनवरी को हुई वार्ता बेनतीजा रही थी. पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश से हजारों की संख्या में किसान दिल्ली की सीमाओं पर पिछले एक महीने से अधिक समय से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं . बीते दिनों केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि किसान यूनियनों के साथ सरकार की नौवें दौर की वार्ता निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार होगी और केंद्र सरकार को सकारात्मक चर्चा की उम्मीद है .

इससे पहले 11 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने तीन कृषि कानूनों के कार्यान्वयन पर अगले आदेश तक रोक लगा दी थी . शीर्ष अदालत ने इस मामले में गतिरोध को समाप्त करने के लिए चार सदस्यीय समिति का गठन किया था. हालांकि, समिति के सदस्य और भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष भूपिंदरर सिंह मान ने समिति से अपने को अलग कर लिया था .

आठ जनवरी की बैठक में कोई नतीजा नहीं
आठ जनवरी की बैठक में कोई नतीजा नहीं निकल सका था क्योंकि केंद्र सरकार ने तीनों कानूनों को रद्द करने की मांग को खारिज कर दिया और दावा किया कि इन सुधारों को देशव्यापी समर्थन प्राप्त है. वहीं किसान नेताओं ने कहा कि वह अंत तक लड़ाई के लिए तैयार हैं और कानूनी वापसी के बिना घर वापसी नहीं होगी .

किसान संगठनों और केंद्र के बीच 30 दिसंबर को छठे दौर की वार्ता में दो मांगों पराली जलाने को अपराध की श्रेणी से बाहर करने और बिजली पर सब्सिडी जारी रखने को लेकर सहमति बनी थी.


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