अगर आप प्राइवेट कर्मचारी हैं और किसी फैक्ट्री या कंपनी में काम कर रहे हैं तो यह खबर आपके लिए है. क्या आपको पता है कि हर महीने मिलने वाली सैलरी से किस किस मद के लिए पैसे कटते हैं और आपको इन कटौतियों का क्या फायदा मिलता है. आपके वेतन से हर महीने कटने वाले 25 रुपये का ये है फायदा,
हर महीने हाथ में आने वाली सैलरी (Salary) सभी को खुशी देती है. अगर उसमें से कभी कुछ राशि काट ली जाती है तो कर्मचारी तुरंत इस संबंध में जानकारी करता है और वजह जानना चाहता है लेकिन कुछ ऐसी मद भी होती हैं जिनका पैसा सैलरी से कटता रहता है और कर्मचारी को पता भी नहीं होता. इससे भी दिलचस्प है कटने वाले पैसे से कर्मचारी को ही लाखों रुपये का लाभ मिल सकता है. इसके बावजूद उसे इसकी जानकारी नहीं होती.
क्या आपको पता है ? ऐसा ही एक फंड होता है लेबर वेलफेयर फंड. जिसमें कर्मचारी (Employee) की सैलरी से महज 25 रुपये महीना कटते हैं और उसे लाखों रुपये की योजनाओं का
फायदा लेने का मौका मिलता है. ईएसआई (Esi) और मेडिक्लेम (Mediclaim) से अलग यह राज्य लेबर वेलफेयर बोर्ड का फंड है. इसमें कर्मचारी को चश्मा और साइकिल खरीदने से लेकर जबड़ा और कृत्रिम अंग लगवाने तक के लिए पैसा मिलता है.
लेबर अफेयर्स (Labour Affairs) एक्सपर्ट बेचु गिरि कहते हैं कि प्राइवेट कर्मचारियों को आर्थिक सहायता देने के लिए सरकार की ओर से तमाम उपाय किए गए हैं. कई तरह की योजनाएं (Schemes) हैं. कई फंड हैं लेकिन सबसे बड़ी परेशानी यह है कि लोगों को इन सुविधाओं की जानकारी नहीं है. हरियाणा में लेबर वेलफेयर फंड के रूप में प्राइवेट कर्मचारियों (Private Employees) के 25 रुपये मासिक कटते हैं लेकिन कर्मचारियों को ही इसकी जानकारी नहीं होती और न ही कंपनियां या फैक्ट्रियां कर्मचारियों को इसकी जानकारी देती हैं. कई बार देखा गया है कि कुछ महीने तक वेलफेयर फंड में पैसा देने के बाद बीच में ड्रॉप कर दिया जाता है. जिसकी वजह से कर्मचारी को लाभ नहीं मिल पाता. जबकि इसके लिए बेहद कम राशि जमा की जाती है लेकिन कर्मचारियों को लाखों रुपये का लाभ मिलता है.
गिरि कहते हैं कि जिन राज्यों में लेबर वेलफेयर फंड हैं वहां कर्मचारी को मिलने वाली सुविधाएं लगभग एक जैसी हैं. वहीं सैलरी से काटी जाने वाली राशि में भी नामालूम अंतर होता है. यहां हरियाणा में काम करने वाले सभी कर्मचारियों के लिए मौजूद लेबर वेलफेयर फंड के फायदों के बारे में बताया जा रहा है.
वेलफेयर फंड से कर्मचारी को मिलते हैं ये लाखों के फायदे
कन्यादान– इसके तहत कर्मचारी को अपनी बेटी की शादी के लिए 51 हजार रुपये मिलते हैं. वहीं अपनी शादी के लिए भी पैसा मिलता है.
घूमने के लिए पैसा- कर्मचारी को चार साल में एक बार चार लोगों के परिवार के लिए आने-जाने का खर्च और घूमने का पैसा दिया जाता है. यह पैसा रेलवे की दूसरी श्रेणी की टिकट या रोडवेज बस की टिकट कुछ भी हो सकता है. इसके साथ ही घूमने की अवधि 10 दिन से ज्यादा नहीं होनी चाहिए.
बच्चों की उच्च शिक्षा के लिए राशि- इस योजना के तहत कर्मचारी को दो लड़कों और तीन लड़कियों तक की उच्च शिक्षा के लिए पैसा मिलता है. नौवीं और दसवीं के लिए चार हजार और छह हजार रुपये से लेकर एमबीबीएस तक की पढ़ाई के लिए 10 हजार और 15 हजार रुपये तक सालाना मिलते हैं. इसके अलावा इंजीनियरिंग और फार्मेसी में पढ़ाई करने पर सात हजार और साढ़े 10 हजार रुपये मिलते हैं. इनके अलावा कर्मचारी की बेटियों के लिए आठवीं तक स्कूल की किताबें, यूनिफॉर्म और कॉपियों के लिए पांच हजार रुपये तक सालाना मिलते हैं.
बच्चों के ट्यूशन के लिए ने के लिए पैसा- चार हजार रुपये से 15 हजार रुपये तक बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने के लिए मिलते हैं.
मातृत्व-पितृत्व लाभ- दो बच्चे या तीन लड़कियां होने पर 7000 रुपये तक मिलते हैं.
कृत्रिम अंग लगवाने पर पूरा मिलता है पूरा पैसा- किसी स्थिति में अपना अंग गंवाने वालों को इससे बड़ा फायदा मिलता है. लेबर वेलफेयर फंड से कृत्रिम अंग लगवाने के लिए पूरा पैसा मिलता है. हालांकि राज्यों की ओर से इनके लिए अस्पताल चयनित हैं. वहीं दिव्यांग होने पर 20 हजार रुपये तक मिलते हैं.
चश्मे, कान की मशीन, दांत लगवाने के लिए राशि- कर्मचारी को दांत की समस्या होने पर 2000 रुपये तक का खर्च दिया जाता है. इसके साथ ही अगर कर्मचारी अपना या अपने आश्रितों का जबड़ा लगवाता है तो उसे 5000 रुपये तक की सहायता लेबर वेलफेयर फंड से दी जाती है. वहीं अगर व्यक्ति अपना या अपने माता-पिता का चश्मा बनवाता है तो उसके लिए 1000 रुपये तक दिए जाते हैं. इतना ही नहीं कान की मशीन लगवाने के लिए भी 3000 रुपये दिए जाते हैं. वहीं दिव्यांग होने पर इस्तेमाल की जाने वाली ट्रायसाइकिल के लिए भी 5000 रुपये मिलते हैं. सिलाई मशीन के लिए 3500 रुपये मिलते हैं.
मुख्यमंत्री श्रम पुरस्कार-इस योजना के तहत चार तरह के पुरस्कार कर्मचारी को प्रदान किए जाते हैं. सर्वाधिक राशि का एक लाख रुपये का मुख्यमंत्री श्रम रत्न पुरस्कार है. इसके बाद तीन अन्य 50 हजार और 20-20 हजार रुपये के पुरस्कार हैं.
दाह संस्कार और मौत होने पर लाभ- अगर किसी कर्मचारी की कंपनी या फैक्ट्री के अंदर ही मौत हो जाती है तो उसके परिजनों को पांच लाख रुपये मिलते हैं. वहीं परिसर से बाहर मौत होने पर दो लाख रुपये की सहायता दी जाती है. इतना ही नहीं दाह संस्कार के लिए भी 15 हजार रुपये तक मिलते हैं. वहीं दुर्घटना होने पर 20 से 30 हजार रुपये मिलते हैं.
हरियाणा में लेबर वेलफेयर फंड से जुड़े मामलों के जानकार लोकेश कुमार बताते हैं कि जो 25 रुपये लेबर वेलफेयर फंड के लिए काटे जाते हैं वह सैलरी ब्रेकअप में नहीं दिखाए जाते. उसमें सिर्फ ईएसआई या मेडिक्लेम, पीएफ आदि की जानकारी होती है. हालांकि लेबर वेलफेयर फंड ईएसआई की सुविधा से अलग है. जिन लोगों का ईएसआई कटता है या मेडिक्लेम मिलता है उन्हें भी लेबर फंड में योगदान देना होता है. जहां तक लाभ की बात है तो 20 हजार रुपये की ग्रॉस सैलरी पाने वालों को ही लेबर वेलफेयर फंड की सभी योजनाओं का लाभ मिलता है. जबकि नियमानुसार 50 हजार या एक लाख रुपये महीने कमाने वाले फैक्ट्री या कंपनी के कर्मचारी को भी 25 रुपये मासिक देने ही होते हैं.
गिरि कहते हैं कि हरियाणा में नियमों के तहत आने वाली किसी भी फर्म, फैक्ट्री और कंपनी को लेबर वेलफेयर फंड में नियमित योगदान देना अनिवार्य है. अगर कर्मचारी नियमानुसार अपने लिए चल रही सभी योजनाओं का लाभ ले तो उसकी जरूरतों पर खर्च होने वाला सैलरी का एक बड़ा हिस्सा बच जाएगा. हालांकि जागरुकता की कमी और अनभिज्ञता के कारण कर्मचारी इन लाभों से वंचित रह जाते हैं. कर्मचारियों को भी चाहिए कि वे अपनी फैक्ट्री और कंपनी से अपने अधिकारों को लेकर जानकारी लें. वहीं जॉब प्रदाता को भी यह बताना चाहिए.
एक समय में कटता था एक रुपया
हरियाणा लेबर वेलफेयर बोर्ड (Haryana Labour Welfare Board) के नियमानुसार लेबर वेलफेयर फंड में सन 2002 में कर्मचारी की जेब से एक रुपया जाता था. वहीं कंपनी या फैक्ट्री को इसका दोगुना यानि दो रुपये जमा करने होते थे. इसके बाद अप्रैल 2007 में यह योगदान बढ़ाकर कर्मचारी का 5 रुपये और कंपनी का 10 रुपये किया गया. अप्रैल 2021 में 10 रुपये और 20 रुपये कर दिया गया. 2019 के बाद से अधिकतम 25 रुपये तक ही कर्मचारी का काटा जा सकता है. वहीं इसका दोगुना यानि 50 रुपये कंपनी को भरने होते हैं.
इन राज्यों में है लेबर वेलफेयर बोर्ड
लेबर वेलफेयर फंड एक्ट देश के सभी राज्यों में लागू नहीं है. लेबर वेलफेयर फंड एक्ट यूनियन टेरिटरी सहित सिर्फ 16 राज्यों में लागू किया गया है. जिन राज्यों में लेबर वेलफेयर फंड है वे राज्य हैं. दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, चंडीगढ़, आंध्र प्रदेश, केरल, गोवा, गुजरात, मध्य प्रदेश, तमिलनाडू, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, तेलंगाना, कर्नाटक, ओडीसा, पश्चिम बंगाल शामिल हैं. वहीं बाकी के बचे हुए राज्यों में लेबर वेलफेयर फंड एक्ट अभी तक लागू नहीं किया गया है. इनमें प्रमुख राज्य हैं उत्तर प्रद्रेश, बिहार, झारखंड, राजस्थान, उत्तराखंड, असम, नगालैंड, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर आदि. लेबर वेलफेयर फंड के लिए योगदान की अवधि अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग हो सकती है. हालांकि ज्यादातर राज्यों में यह मासिक 25 रुपये है.