अनूपपुर.
अनपपुर जिले की जल समस्या को लेकर एक महत्वपूर्ण बैठक दिनांक 26-10-24 को सिंधी धर्मशाला में दोपहर 2 बजे से सायं 5 बजे तक चली । इस बैठक के संबंध में जानकारी देते हुए प्रगतिशील लेखक संघ इकाई अनूपपुर के अध्यक्ष गिरीश पटेल ने बताया कि यह बैठक प्रसिद्ध किसान व समाज सेवी अनंत जौहरी के द्वारा आहूत थी । अनूपपुर जिला जल समस्या से ग्रसित है, यह एक विचारणीय मुद्दा है कि मध्यप्रदेश में सबसे कम सिंचाई के संसाधन डिण्डौरी जिले में है और उसके बाद अनूपपुर जिले का नंबर आता है यानि प्रदेश में दूसरे नंबर पर, जबकि अनूपपुर जिले में दो थर्मल प्लांट, कई कोलियरी, एक कॉस्टिक सोडा फैक्ट्री और पास में ही सीमा पर ओरियंट पेपर मिल है ।
अनूपपुर में सब्जी की बहुत बड़ी मंडी है तथा कई नदियाँ भी,जिसमें प्रमुख रूप से बड़ी नदी सोन भी है। लेकिन किसानों के खेतों में सिंचाई के लिए न तो पर्याप्त संसाधन हैं और न ही पर्याप्त जल । सोन नदी के अधिकतम जल का दोहन थर्मल प्लांट, सोडा फैक्ट्री और पेपर मिल कर लेते हैं । जल प्रदाय के लिए जो सरकारी योजनाएं हैं वो हाथी का दांत साबित हुई हैं । किसानों को जल की आपूर्ति नहीं हो पाती यही वजह है कि इस क्षेत्र में रवि की फसल मात्र 10-15 प्रतिशत ही हो पाती है । नल-जल योजना के तहत अधूरे कार्य करके छोड़ दिए गए हैं और सड़कों को खोद दिया गया है । कई ऐसे गावों में जहां इस योजना की कोई जरूरत नहीं है वहां भी ज़बरदस्ती ये योजना लागू की गई हैं और रास्ते खोद दिए गए हैं । मोजरवियर प्लांट से निकलने वाली राखड से कई क्षेत्रों को पाटा जा रहा है यहाँ तक कि कई जीवित तलाबों तक को पाट दिया गया है । पीने के जल की आपूर्ति नदियों के जल को सीधे लिफ्ट कर वाटर टैंक में डाल कर नलों के द्वारा की जाती है तथा टंकी में क्लोरीन डालकर सीधे नलों में डाल दिया जाता है ।
जल के शुद्धिकरण का कोई सही तरीक़ा नहीं अपनाया जाता । अनूपपुर मुख्यालय में एक वॉटर टैंक में एक बंदर गिर कर मर गया था और कई पक्षी भी और उसी जल की पेयजल के रूप में आपूर्ति की जा रही थी । जल में गंध की शिकायत मिलने पर जाँच करने पर पाया गया कि बंदर और पक्षी टैंक में मरे पड़े हैं । अनूपपुर की ज़्यादातर जनता अपने अपने घरों में बोर कराकर उसका उपयोग कर रही है जिससे भूगर्भीय जल स्तर नीचा होता जा रहा है । तालाबों और कुओं की हालत ख़स्ता है । रेत के अवैध व अंधाधुंध उत्खनन से तथा नदियों में गंदगी बहाने की वजह से न केवल नदियाँ प्रदूषित हो गई हैं बल्कि उनका अस्तित्व भी ख़तरे में पड़ गया है ।वॉटर- हार्वेस्टिंग की कोई भी योजना न तो इस जिले में लागू है और न ही आम जनता की इस बारे में कोई संवेदनशीलता ।यदि समय रहते सचेत नहीं हुए तो भावी समय में जल के अभूतपूर्व संकट का सामना करना पड़ेगा । सरकारी नीति के अनुसार धीरे-धीरे जल पर कॉरपोरेट का क़ब्ज़ा होता जा रहा है और ऐसा लग रहा है कि भविष्य में जल वितरण का कार्य कॉरपोरेट ही करेंगे , तब आम जनता में त्राहि त्राहि मचेगी ।
इन सारी समस्याओं से निपटने के लिए ही यह बैठक आयोजित की गई थी । इस बैठक का उद्देश्य जनजागरण के साथ ही सरकार तक उचित माध्यमों से अपनी समस्याओं को पहुंचाना और उसके निराकरण के लिए सरकार पर दबाव बनाना भी है ।इस बैठक में यह तय किया गया है कि सारे समस्याओं को सूचीबद्ध कर के इसे जिला प्रशासन और इससे संबंधित विभागों को भेजा जाएगा साथ ही इससे राज्य सरकार को भी अवगत कराया जाएगा ।ताकि इस पर गंभीरता पूर्वक अमल हो सके । यदि इस सबके बावजूद भी स्थानीय जिला प्रशासन व सरकार के पास सुनवाई नहीं होती तो यह कार्यक्रम एक विशाल जन आंदोलन के रूप में परिवर्तित हो जाएगा ।
इस बैठक में विशेष रूप से बड़वानी से आए जल विशेषज्ञ रहमत भाई ( जिनकी योजनाओं पर कई बार सरकार ने अमल किया है ), छतरपुर के गांधी संस्थान से आईं दमयंती नेगी, बड़वानी से ही महेश शर्मा ( मेधा पाटकर के साथ आंदोलनरत ), जिला पंचायत अध्यक्ष प्रीति सिंह, पूर्व एडिशनल कलेक्टर व जिला कांग्रेस के अग्रणी नेता रमेश सिंह, समाजसेवी एडवोकेट बासुदेव चटर्जी, किसान मोर्चा के प्रदेश पदाधिकारी एडवोकेट जनक राठौर, ग्राम हर्र्री से सिंचाई क्रांति के कर्ताधर्ता एडवोकेट हीरालाल राठौर, समाजसेवी पी एस राउतरायजी,पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष रामखेलावन राठौर,चोरभटी से जुगलकिशोर राठौर, पडरिया से रमेश सिंह राठौर,पसला से रामचरण राठौर, फुनगा से मुन्ना सिंह,जमडी से अनंत जौहरी,विवेक यादव,महेन्द्र सिंह , विनोद सिंह और अनूपपुर से गिरीश पटेल आदि शामिल थे और इन सभी ने जल समस्याओं के बारे में अपने अपने विचार रखे और अनुभवों को साझा कर उसके निराकरण के संबंध में अपने सुझाव भी प्रस्तुत किये ।