Israel Embassy Blast: हमले के दिन को खास तौर पर चुना गया था. ये हमला भारत इजरायल के बीच राजनयिक संबंधों की 29वीं वर्षगांठ पर किया गया. ऐसे में इस हमले ने कई सवाल भी खड़े कर दिए हैं.
जधानी दिल्ली में शुक्रवार को इजरायल के दूतावास के बाहर हुए धमाके (Israel Embassy Blast) के बाद कई हैरान कर देने वाली जानकारियां सामने आई हैं. इस मामले की तहकीकात कर रही जांच एजेंसियों से जुड़े सूत्रों ने दावा किया है कि बड़े ही सुनियोजित तरीके से इस हमले को अंजाम दिया गया. कहा जा रहा है कि ये एक कोऑर्डिनेटेड हमले की कोशिश थी, यानी एक साथ एक से ज्यादा जगहों पर हमले की साजिश. इसका असली मकसद था डर पैदा करना. दरअसल जिस दिन दिल्ली में दूतावास के बाहर धमाका हुआ, ठीक उसी दिन इटली में भी इजरायल के दूतावास के बाहर बम मिला था.
दिल्ली में पिछले 9 साल में दूसरी बार इजरायल के दूतावास को निशाना बनाने की कोशिश की गई. साल 2012 में दूतावास के बाहर बम धमाके में इजरायल के राजनयिक घायल हुए थे. खास बात ये है कि उस वक्त भी आंतकियों ने इजरायल के दो दूतावासों को निशाने बनाने की कोशिश की थी. जिस दिन राजनयिक की गाड़ी पर हमला हुआ था, ठीक उसी दिन जॉर्जिया में इज़रायल के दूतावास के बाहर भी बम मिला था.
इजरायल के राजनयिक तेल येहोशुआ और भारत के ड्राइवर इस ब्लास्ट में घायल हुए थे. ये एक मैगनेटिक ब्लास्ट था. उस वक्त भी इज़रायल ने इस हमले के लिए ईरान को ज़िम्मेदार ठहराया था. एक बार फिर से हमले का शक ईरान की तरफ जा रहा है. खास बात ये है कि इस बार भी इजरायल के दो दूतावासों को निशाना बनाया गया.
खास दिन पर हुआ हमला
ध्यान देने की बात ये है कि हमले के दिन को खास तौर पर चुना गया था. ये हमला भारत इजरायल राजनयिक संबंध की 29वीं वर्षगांठ पर किया गया. ऐसे में इस हमले ने कई सवाल भी खड़े कर दिए हैं. सूत्रों के मुताबिक दूतावास के पास हुए बम ब्लास्ट के बाद तुरंत तीन इंटरनेशनल फ्लाइट को भी रोका गया था. पूरी तलाशी के बाद ही इन फ्लाइटस को जाने की इजाजत मिली थी. कुछ इनपुट्स के आधार पर इन फ्लाइटस की तलाशी भी ली गई थी.
जांच में अब तक क्या-क्या मिले
फॉरेंसिक जांच में फिलहाल पता चला है कि विस्फोट में PETN का इस्तेमाल किया गया. दुनिया भर के मिलिट्री को ही इसके इस्तेमाल की छूट है. जांच में एक ‘हाई-वॉट’ बैट्री भी मिली है. 9 वोल्ट की इस बैट्री का इस्तेमाल आमतौर पर रेडियो ट्रांजिस्टर के लिए किया जाता है, जिससे कि ब्लास्ट की जगह से संदेश भेजे जा सके. सूत्रों का कहना है कि इस्लामिक स्टेट या अलकायदा का भी हाथ हो सकता है.