1 फरवरी को बजट पेश करने के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने LIC की हिस्सेदारी बेचने का ऐलान कर दिया है. सरकार के इस ऐलान के बाद करोड़ों पॉलिसीधारकों में हलचल मच गई है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (FM Nirmala Sitharaman) ने सोमवार बजट पेश करने के दौरान एलआईसी में हिस्सेदारी बेचने का ऐलान किया है. हिस्सेदारी बेचने के लिए सरकार इसमें आईपीओ लेकर आएगी. बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री ने ऐलान किया कि दो और बैंक का निजीकरण किया जाएगा. ये स्पष्ट नहीं हो पाया है कि किस बैंक का निजीकरण किया जाएगा. वहीं, देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) को भी सरकार बेचने जा रही है.
1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य- दरअसल मोदी सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों तथा वित्तीय संस्थानों में हिस्सेदारी बिक्री से वित्त वर्ष 2021-22 में 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है. एलआईसी की हिस्सेदारी बेचनी की खबर से पॉलिसीधारकों में बड़ी हलचल मच गयी है. हालांकि यह पहली बार नहीं हो रहा है, जब पॉलिसीधारकों में ऐसी स्थिति देखने के लिए मिल रही है.
निवेश का सबसे सुरक्षित तरीका- लोग LIC में निवेश को सबसे सुरक्षित मानते हैं और यही कारण है कि इसकी पॉलिसी लोग बिना कोई परेशानी के खरीदते हैं.
पॉलिसीधारकों पर नहीं पड़ेगा असर- इस फैसले के बाद LIC के 25 करोड़ ग्राहकों की चिंता बढ़ गई है. लेकिन जानकारों का कहना है कि सरकार के इस फैसले से पॉलिसीधारकों पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
दूसरी छमाही में आ सकता है IPO- LIC का आईपीओ नए वित्त वर्ष की दूसरी छमाही यानी अक्टूबर के बाद आने की संभावना है. इसकी जानकारी निवेश एवं सार्वजनिक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव तुहिन कांत पांडेय ने दी.
इन कंपनियों को भी बेचना चाहती है सरकार- सरकार इस वित्त वर्ष में शिपिंग कॉर्प ऑफ इंडिया (SCI), और दो अन्य सार्वजनिक बैंक को भी बेचना चाहती है. तुहिन कांत पांडेय ने कहा कि सरकार ने वित्त विधेयक के माध्यम से भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) और आईडीबीआई बैंक में हिस्सेदारी के विनिवेश के लिये आवश्यक विधायी संशोधन पेश किये हैं. मोदी सरकार ने अर्थव्यवस्था को मुश्किलों से बाहर निकालने के लिए अगले वित्त वर्ष में रिकॉर्ड पूंजीगत व्यय का लक्ष्य रखा है.