जालौर में ग्रेनाइट की फैक्ट्रियों से निकलने वाला अपशिष्ट पदार्थ न सिर्फ शहर में गंदगी फैला रहा है, बल्कि प्रदूषित स्लरी की वजह से लोगों की सेहत पर भी बुरा असर पड़ रहा है. इसको लेकर हाईकोर्ट ने सरकार और रीको को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
जालौर जिला ग्रेनाइट प्रोसेसिंग के लिए मशहूर है. यहां रीको की फेज 1, फेज 2 और फेज 3 में हजारों इंडस्ट्रीज लगी हैं, जो ग्रेनाइट की प्रोसेसिंग का काम कर रही हैं. लेकिन यs फैक्ट्रियां अब जालौर शहर को बीमार करने लगी हैं. जहां जालौर की सफाई व्यवस्था को फैक्ट्रियां चोट पहुंचा रही हैं, वहीं जालौर में रहने वाले लोगों की स्वास्थ्य के लिए भी घातक साबित होती नजर आ रही हैं.
इसी मुद्दे को लेकर ग्रीन एंड क्लीन अविस लैंड संस्थान की ओर से अधिवक्ता मोती सिंह राजपुरोहित ने राजस्थान उच्च न्यायालय ( Rajasthan High Court) में एक जनहित याचिका पेश की. इस पर हाईकोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश संगीत राज लोढ़ा व जस्टिस
रामेश्वर लाल व्यास की खंडपीठ ने राजस्थान सरकार और राजस्थान राज्य औद्योगिक विकास एवं विनियोजन निगम (RIICO) नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.
याचिका में बताया गया है कि जालौर में ग्रेनाइट प्रोसेसिंग का काम करने वाली हजारों फैक्ट्रियां प्रोसेसिंग के दौरान ग्रेनाइट से निकलने वाले स्लरी को किसी डंपिंग यार्ड में न फेंक कर फैक्ट्रियों के आसपास ही खाली जगह पर फेंक देती हैं. इसके चलते जालौर शहर में गंदगी फैल रही है. वहीं यहां रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य पर भी विपरीत असर पड़ रहा है. दरअसल ग्रेनाइट प्रोसेसिंग के दौरान मशीन में ग्रेनाइट पर पानी डालकर प्रोसेस किया जाता है. इस दौरान स्लरी ग्रेनाइट से निकलने वाला लिक्विड कचरा है. जिसका सही ढंग से निस्तारण नहीं किया जा रहा है.
जालौर के ग्रेनाइड की देश ही नहीं विदेशों में भी डिमांड
देश के हर कोने तक पहुंचने वाला जालोर की पहाड़ियों का ग्रेनाइट अब चीन, यूएसए और दुबई सहित कई देशों तक पहुंच गया है. इस ग्रेनाइट पत्थर का 2 क्यूबिक मीटर का बड़ा ब्लॉक करीब 20 लाख रुपए में बिकता है. सुनने में यह कीमत भले ही ज्यादा लगे, लेकिन यह हकीकत है. कांडला बंदरगाह के जरिए जब यह ब्लॉक चीन पहुंचता है तो उसकी कीमत करोड़ रुपए के पार हो जाती है.
काले, भूरे और लाल रंग का है यह ग्रेनाइट
राजस्थान का जालोर अरावली पर्वत श्रृंखला का इलाका है. इस इलाके में बड़ी मात्रा में ग्रेनाइट है. यह ग्रेनाइट मार्बल का विकल्प है और उससे सस्ता भी. काले, भूरे और लाल रंग के इस ग्रेनाइट की चमक के कारण जयपुर, दिल्ली, मुंबई और गुजरात के शहरों में तो इसकी चमक पहले बिखर गई थी. अब यह पत्थर चीन, यूएसए और दुबई जैसे देशों में भी अपनी चमक बिखेर रहा है. पत्थर की बड़ी-बड़ी शिलाओं को निकालकर ट्रक में लादकर ले बंदरगाह तक ले जाया जाता है.