सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों के भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने वाला लोकायुक्त कार्यालय बेहद दयनीय हालत से गुजर रहा है. राज्य सरकार ने लंबे समय से खाली पड़े लोकायुक्त के पद पर निुयक्ति तो कर दी, लेकिन कार्यालय में कर्मचारियों (Staff) का टोटा बना हुआ है.
प्रदेश में सरकारी अफसरों व कर्मचारियों के भ्रष्टाचार (Corruption) की शिकायतों की सुनवाई करने वाले लोकायुक्त (Lokayukta) पद पर पीके लोहारा की नियुक्ति कर दी गई है. लेकिन लोकायुक्त कार्यालय (Lokayukta Office) में शिकायतों पर गौर करने वाला कोई नहीं है. क्योंकि लोकायुक्त का पूरा दफ्तर खाली पड़ा है. इसके चलते लोकायुक्त कार्यालय के संचालन को लेकर संशय बना हुआ है. लोकायुक्त के पास प्रदेशभर के भ्रष्टाचार के करीब 8000 मामले लंबित पड़े हैं.
लोकायुक्त कार्यालय में अधिकारियों और कर्मचारियों का जबर्दस्त टोटा बना हुआ है. लोकायुक्त सचिवालय में राज्य के अफसरों और कर्मचारियों के खिलाफ आईं शिकायतें फाइलें बनाकर अलमारियों में रखी हुई हैं. लोकायुक्त सचिवालय में
दूसरे विभागों से लगाये गये कर्मचारियों का डेपुटेशन भी खत्म कर उन्हें मूल विभाग में भिजवाया जा चुका है. ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि भ्रष्टाचार के मामलों का निस्तारण आखिर कैसे हो पायेगा ? नवनियुक्त लोकायुक्त पीके लोहारा का कहना है कि खाली पदों को भरने के लिए जल्द ही सरकार को लिखा जाएगा.
लोकायुक्त कार्यालय का यह है हाल
लोकायुक्त कार्यालय में उप लोकायुक्त का पद खाली पड़ा है. वहीं एक सचिव, एक अनुभाग अधिकारी, 3 सहायक अनुभाग अधिकारी, एक यूडीसी, सात स्टेनोग्राफर, एक कनिष्ठ लेखाकार और जनसंपर्क अधिकारी के पद स्थगित किये जा चुके हैं.
20 मार्च 2020 को लोकायुक्त कार्यालय से ये पद समाप्त कर दिए गए
– प्रमुख सचिव 1 पद समाप्त
– प्रमुख निजी सचिव 4 पद समाप्त
– संयुक्त सचिव 4 पद समाप्त
– उपसचिव 2 पद समाप्त
– सहायक सचिव 3 पद समाप्त
– पुलिस प्रकोष्ठ के 15 पद समाप्त
लंबे समय से खाली चल रहा था लोकायुक्त का पद
लोकसभा चुनाव से पहले मार्च में राज्य सरकार ने एक अध्यादेश के जरिये तत्कालीन लोकायुक्त एसएस कोठारी को हटा दिया था. तब से ही पद खाली चल रहा था. सरकार ने जुलाई में देश में एक समानता के लिए राजस्थान लोकायुक्त संशोधन विधेयक-2019 पारित कर लोकायुक्त का कार्यकाल 8 साल से घटाकर 5 साल कर दिया.