राज्य की गहलोत सरकार ने लोगों को बड़ी राहत दी है। अब 500 वर्गमीटर तक के प्लाट यानी भूखंड पर मकान बनाने के लिए आपको नक्शा पास कराने की जरूरत नहीं है। पहले यह छूट सिर्फ 250 वर्गमीटर तक थी। अब राज्य सरकार ने 500 वर्गमीटर तक के भूखंडों पर नक्शा पास कराने की अनिवार्यता खत्म कर दी है। सरकार के इस फैसले को लाखों लोगों के लिए राहत भरा माना जा रहा है। नगरीय विकास एवं स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल ने विधानसभा में इसकी जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि पहले सरकार ने 250 वर्गमीटर तक के भूखंडों पर ही भवन निर्माण के लिए नक्शा पेश करने की छूट दे रखी थी। अब इस दायरे को बढ़ाकर 250 से 500 वर्गमीटर कर दिया है। उन्होंने कहा कि राज्य के कई छोटे-छोटे शहरों में लोगों के पास बड़े भूखंड (250 वर्गमीटर से बड़े) हैं। इन पर मकान बनाने के लिए लोगों को नक्शा पास करवाना पड़ता है। जिसके लिए उन्हे नगरीय निकायों (नगर पालिका, परिषद, यूआईटी या विकास प्राधिकरण) के चक्कर काटने पड़ते हैं। लोगों की इसी समस्या को देखते हुए सरकार ने यह निर्णय लिया है।
इसके अलावा, 500 वर्गमीटर से 2500 वर्गमीटर तक के भूखंड पर नक्शा पास करवाने के लिए नगर निकायों के चक्कर काटने की जरूरत नहीं होगी। इसके लिए सरकार से पंजीकृत आर्किटेक्ट से नक्शा अनुमोदित कराकर निर्माण शुरू किया जा सकता है।
90 वर्गमीटर तक सैटबेक छोड़ने की नहीं है कोई जरूरत
राजस्थान बिल्डिंग बायलॉज 2020 में राज्य सरकार ने प्रावधान किया है कि अगर किसी भी व्यक्ति के पास 90 वर्गमीटर (लगभग 100 वर्गगज) तक का भूखंड है तो उसे सैटबैक छोड़ने की जरूरत नहीं है। इन भूखंडों पर निर्माण करने वाले लोगों को सैटबेक छोड़ने के नाम पर अक्सर परेशान किया जाता है। इसे देखते हुए सरकार ने सैटबेक छोड़ने की अनिवार्यता को खत्म किया है।
दो दिन पहले परिवहन मंत्री ने जताई थी नाराजगी
दो दिन पहले परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने नगर निगम हैरिटेज के एक कार्यक्रम में मकान निर्माण के दौरान नगर निगम, जेडीए के सतर्कता विंग की ओर से की जाने वाली कार्रवाई पर सवाल उठाए थे। खाचरियावास ने मंच से कहा था कि जयपुर में छोटे-छोटे मकान बनाने वाले गरीब लोगों को विजिलेंस शाखा के कर्मचारी अवैध निर्माण बताकर परेशान करते हैं।