तीनों विधानसभाओं के उपचुनाव (Rajasthan Assembly by-election) में सत्तारूढ़ कांग्रेस की नजर सबसे ज्यादा राजसमंद (Rajsamand) पर है. यही वह सीट है जो करीब दो दशक से उसकी पकड़ से दूर रही है. इन बीस बरसों में प्रदेश में कांग्रेस (Congress) के सत्ता आने के बावजूद यह सीट बीजेपी (BJP) के ही नाम रही है. इस सीट पर काबिज होने के लिए कांग्रेस एड़ी से चोटी का जोर लगा रही है. उधर बीजेपी को इस सीट के लिए उस जादुई ‘किरण’ की तलाश है जो एक बार फिर राजसमंद पर बीजेपी का राज को कायम रख सके.
राजसमंद में हुए नगर परिषद चुनाव में कांग्रेस का बोर्ड और सभापति बनने के बाद वह इन उम्मीद के लहरों पर सवार है कि मतदाता शायद इस बार बदलाव चाहते हैं. इसी के चलते पार्टी में राजसमंद सीट से टिकट की मारामारी खूब चल रही है. यहां तक की इस सीट के लिए विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी के पुत्र हिमांशु जोशी और सीएम अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत के नाम की भी चर्चा चल निकली. खुद सीपी जोशी को इन चर्चाओं पर यह कहकर विराम लगाना पड़ा कि राजसमंद से स्थानीय प्रत्याशी को ही चुनाव मैदान में उतारा जाएगा.
गढ़ भेदने के लिए कुछ भी करेंगे
राजसमंद सीट से निवर्तमान विधायक किरण माहेश्वरी 30 नवंबर को दिवंगत हो गई थीं. पहले कुछ उपेक्षित चल रही इस सीट पर सरकार ने विकास के नजरिए से फोकस किया. कांग्रेस की हरचंद कोशिश बीजेपी का यह गढ़ भेदने की है. यहां 76.75 करोड़ रुपए के 109 विकास कार्यों का शिलान्यास किया गया है. इसके अलावा 8.67 करोड़ रुपए के 4 कार्यों का लोकार्पण कर जनता में यह संदेश देने की कोशिश की गई कि सरकार राजसमंद के लिए फिक्रमंद है. इसके साथ ही बजट में तीनों विधानसभा क्षेत्रों के लिए करोड़ों की घोषणाएं की गईं जहां 17 अप्रैल को उपचुनाव होने हैं.
किरण के काम लगाएंगे बेड़ा पार
दूसरी ओर बीजेपी फिलहाल तो किरण माहेश्वरी द्वारा कराए विकास कार्यों की नाव पर ही सवार है. बीजेपी नेताओं को लगता है कि बीस साल से विधानसभा क्षेत्र में इतने विकास कार्य हुए हैं कि मतदाता दूसरी पार्टी के बारे में नहीं सोचेगा. इसके अलावा असमय दिवंगत हुईं माहेश्वरी के कारण पार्टी को सहानुभूति वोट भी मिलेंगे. इसी के चलते पार्टी का एक धड़ा किरण की पुत्री दीप्ति माहेश्वरी को टिकट देने के पक्ष में है. दूसरी ओर कुछ नेता टिकट के दावेदारों में दूसरे नाम चला रहे हैं. उनका तर्क है कि माहेश्वरी परिवार के खिलाफ एंटी इनकमबेंसी फैक्टर काम कर सकता है. क्योंकि वे कई बरसों से इस क्षेत्र की जनप्रतिनिधि रही हैं.
जातिगत समीकरणों से जीतती आई है बीजेपी
राजसमंद विधानसभा सीट पर ओवरआल कांटे का मुकाबला रहा है. अब तक सात बार कांग्रेस और छह बार बीजेपी ने विजय हासिल की है. 2003 से ही यह बीजेपी की परंपरागत सीट बनी हुई है. इसके बाद 2008 में राजसमंद सीट आरक्षित सीट समाप्त हो गई. तब से किरण माहेश्वरी जीतती आ रही हैं. सीट को बरकरार रखने के लिए जातिगत समीकरण काफी कुछ मायने रखते हैं. इससे मतों के जीत के मतों का अंतर कभी बढ़ता है तो कभी घट जाता है. इस सीट पर राजपूत व महाजन वर्ग के प्रत्याशियों को टिकट मिलता रहा है. लेकिन राजपूत मतदाता ज्यादा होते हुए भी महाजन वर्ग का पलड़ा भारी रहा है. ऐसे में 2008 और 2013 में कांग्रेस प्रत्याशी हरिसिंह राठौड़ की हार हुई. पिछले चुनाव में कांग्रेस ने प्रत्याशी बदला, लेकिन जीत नसीब नहीं हुई.
क्षेत्र के लोगों की मांगें और मुद्दे
– क्षेत्र में मार्बल की खाने हैं. इसलिए यहां मार्बल मंडी की स्थापना हो.
– राजसमंद झील के किनारे रिंग रोड बने और झील को सालभर भरा रखने के लिए पानी लाया जाए.
– शहर की सड़कों का रखरखाव और गांवों में निर्बाध बिजली आपूर्ति.
– मारवाड़-मावली ब्रॉडगेज लाइन की मांग भी काफी पुरानी है.
– नंदसमंद से राजसमंद झील में पानी लाने वाली खारी फीडर नहर का चौड़ीकरण.
दो दशक का लेखा-जोखा
वर्ष विजेता पार्टी किसे हराया कितने वोट से
2003 बंशीलाल खटीक (बीजेपी) बंशीलाल गहलोत (कांग्रेस ) 26945
2008 किरण माहेश्वरी (बीजेपी) हरिसिंह राठौड़ (कांग्रेस) 5000
2013 किरण माहेश्वरी (बीजेपी) हरिसिंह राठौड़ (कांग्रेस) 30575
2018 किरण माहेश्वरी (बीजेपी) नारायण सिंह भाटी (कांग्रेस) 24623
जातिगत समीकरण
अनुसूचित जाति – 37604
कुमावत – 30839
जाट – 22053
अजजा – 15761
गुर्जर – 19228
ब्राह्मण – 18862
जैन – 16472
राजपूत – 16470
मुस्लिम – 14531
तैली – 7382
विधानसभा क्षेत्र में मतदाता
कुल मतदाता – 221610
पुरुष – 112718
महिला – 108892
विधानसभा राजसमंद के संभावित उम्मीदवार
कांग्रेस : महेश प्रताप सिंह, आशा पालीवाल, तनसुख बोहरा
बीजेपी : दीप्ती माहेश्वरी, कर्णवीर सिंह राठौड़, महेंद्र कोठारी