जिले के लहार अनुविभाग में असवार के कृषि उपज खरीदी केंद्र पर फसल को खरीदने के बाद किसानों के दाम एक महीने के बाद भी खाते में नहीं आ रहे हैं। कारण यह है कि यहां किसानों ने भले ही फसल को पहले नंबर पर लगाकर बेच दिया है। परंतु केंद्र प्रभारी से लेकर ऑपरेटर व मॉनीटरिंग कर्मचारी व अधिकारी की सांठगाठ चली। किसानों से खरीदी गई फसल को रोका गया। अपने चहेते चेहरों की फसलों को पहले गोदाम में पहुंचवाकर मूल्यों का भुगतान कराया। यह धोखाधड़ी क्षेत्र के कई किसान के साथ हुई।
मई महीने में असवार खरीदी केंद्र पर फसलों की खरीदी की गई। 10 मई से लेकर 15 मई तक जिन किसानों ने फसलों की तुलाई कराई है। ऐसे किसानों के फसल का भुगतान 9 जून तक नहीं हो सका। अब क्षेत्र के किसान फसल के भुगतान को लेकर केंद्र के कर्मचारियों को फोन पर संपर्क करते हैं उन्हें संतोष जनक जवाब नहीं मिल रहा है। यहां तैनात कर्मचारी सीधे तौर पर यह कह देते है कि फसल हम ने तुलवाई है। फसल का मूल्य कब आएगा? इस बात की जानकारी हम नहीं देते हैं। कई बार किसानों से साथ केंद्र के कर्मचारी अभद्रता कर देते हैं। ऐसे में किसान चुपचाप रह कर बैंक मैसेज आने का इंतजार करने लगता है।
इसलिए अटक रहा किसानों की फसल का मूल्य
जिले के असवार समेत अन्य कृषि उपज खरीदी केंद्रों पर यहां तैनात कर्मचारियाें ने किसानों को धोखे में रखा है। इन केंद्रा्ें पर तैनात कर्मचारियों ने अपने परिचितों या स्वयं की फसल बेचने का भी पंजीयन करा रखा था। यहां जिन किसानों ने पहले फसल की तुलाई कराई है। ऐसे किसानों का माल यहां तैनात कर्मचारियों ने कागजी दस्तावेजों में गड़बड़ी करते हुए स्वयं का दर्शाते हुए गोदाम में पहले जमा कराकर मूल्य भी ले लिया हैं। इस वजह से संस्था से जुड़े कर्मचारियों की फसल तुलाई का पहले पैसा आ गया अब तुलाई बंद होने के बाद कर्मचारी ने अपनी फसल को मंडी में तुलाई करवाकर वारदाना में भरकर पूर्ति कर रहे है। रविवार 6 जून को भी असवार केंद्र से जुड़ा एक कर्मचारी अपनी फसल की तुलवाकर वारदाना में भरवाया है। जबकि इस कर्मचारी के खाते में मई महीने में भी मूल्य का भुगतान किया जा चुका है।
400 क्विंटल माल अभी भी नहीं हुआ जमा
सबसे बड़ी विडंबना यह है कि फसल तुलाई शासन की ओर से बीते महीने पूरा हो चुका है। इसके बाद भी असवार उपज केंद्र पर अभी 400 क्विंटल फसल यानी 800 बोरियों गोदाम में भेजने के लिए रखी हुई है। सूत्र बताते है कि यह माल संस्था से जुड़े कर्मचारियों का है जिसे अंत में तौलकर वारदाना में भरकर रखवाया। जबकि इन कर्मचारियों ने फसल की मूल्य का भुगतान पहले ही ले लिया।
खरीद केंद्र पर गड़बड़ी की वजह से रूकता किसान का भुगतान
नागरिक आपूर्ति निगम के प्रबंधक अनिल अग्रवाल का कहना है कि जिन किसानों की पहले फसल की तुलाई हो जाती है उनकी फसल पहले भेजी जानी चाहिए। यदि किसी कारण से फसल स्वीकृत नहीं होती है तो भी तीस दिन में फसल का भुगतान हो जाता है। प्रबंधक अग्रवाल का मानना है कि खरीद केंद्र से फसल भेजने में देरी होने पर मूल्य का भुगतान अटकता है। केंद्रों पर तैनात कर्मचारियों द्वारा गड़बड़ी की जाती है। इसलिए पहले तुलाई करने वाले किसानों की फसल देरी से आती है और भुगतान रूक जाता है।
मैंने माल भेज दिया
असवार में फसल खरीद केंद्र के प्रभारी पवन श्रीवास्तव से सीधी बात
- असवार के फसल खरीद केंद्र पर किसानों के साथ धोखा हुआ। कई किसानों ने फसल तुलाई कराई थी उनकी फसल का पैसा एक महीने बाद भी नहीं आया ?
यह मेरी जानकारी में नहीं है। भुगतान का पैसा किसानों के खाते में आता है।
- जिन किसानों ने 10 से 15 मई तक फसल की तुलाई खरीद केंद्र पर कराई है उनका भुगतना अटका है। जिन किसानों ने बाद में कराई है उनका भुगतान आ चुका है। इससे यह बात स्पष्ट होती केंद्र पर गड़बड़ी की गई है ?
इस बारे में मैं कुछ नहीं कह सकता हूं। मेरा काम फसल की तुलाई कराना है। फसल गोदाम में रखे जाने के बाद मूल्य का भुगतान होता है। इस बारे में नागरिक आपूर्ति निगम जिम्मेदार है।
- आपकी संस्था से जुड़े कर्मचारियों ने दूसरे किसानों की फसल को स्वयं का बताकर गोदाम में रखवाया। अर्थात कागजी तौर पर फसल बेचना दर्शाया। जबकि हकीकत यह है कि उनकी फसल की तुलाई खरीदी बंद होने के बाद हुई ?
ऐसा नहीं, हुआ। किसी की भी तुलाई बाद में नहीं हुई। फसल की पलटी जरूर करवाई है।
- बीते रविवार 6 जून को ही आपके केंद्र से जुड़े व्यक्तियों की फसल लहार मंडी में तौली गई और वारदाना में रखवाई गई ?
इस बात की जानकारी नहीं है। फसल की पलटी कराई गई होगी।
- अभी भी कई किसानों के पैसा नहीं आए, इन का मूल्य भुगतान आपकी संस्था पर हुई गड़बड़ी से रूका है?
मेरे पास 800 बोरी माल रखा है। यह माल भेजा जाना है। भुगतान से मेरा कोई लेना-देना नहीं है। यह भुगतान की अलग प्रक्रिया है।