राजस्थान में सियासी संकट का समाधान ढूंढने में जुटी कांग्रेस पार्टी, सरकार और सचिन पायलट के बीच विवाद खत्म करने के फॉर्मूले पर मंथन कर रही है. हालांकि अभी तक सचिन पायलट की मांग पर फार्मूला तय नहीं हुआ है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि इस पर तेजी से काम किया जा रहा है. पार्टी सचिन के मसले और मांग के समाधान की कोशिश में जुटी है. दरअसल, अशोक गहलोत सरकार की कैबिनेट में अभी 9 पद खाली हैं. सचिन इनमें से 6-7 पद अपने लिए चाहते हैं.
कांग्रेस पार्टी को यह देखना है कि सचिन की मांग के अलावा 18 निर्दलीय और बीएसपी से कांग्रेस में शामिल हुए विधायकों की भी आकांक्षा कैसे पूरी की जाए. राजस्थान में पायलट बनाम गहलोतविवाद के बीच सूत्र ये भी कह रहे हैं कि कांग्रेस पार्टी को उन विधायकों की आकांक्षाओं को भी ध्यान में रखना है जो 6-7 बार से जीतते रहे हैं. इसके अलावा पार्टी में सचिन पायलट की भूमिका क्या होगी, यह भी कांग्रेस आलाकमान तय करेगी.
सूत्रों के मुताबिक सचिन पायलट 9 खाली पदों में से 6 से 7 मंत्री पद अपने समर्थकों के लिए चाहते हैं. पायलट की ख्वाहिश है कि उनके करीबी विधायकों को मंत्रिपरिषद में जगह दी जाए. ऐसे में कांग्रेस पार्टी इस संकट के समाधान का क्या फॉर्मूला ढूंढती है, इस पर सियासी जानकारों की निगाहें टिकी हैं. इधर, राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी लगातार कांग्रेस के अंदरूनी संकट पर निगाह बनाए हुए है. पार्टी नेता सचिन पायलट और राजस्थान पीसीसी अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के दिल्ली दौरे पर लगातार टिप्पणी भी कर रहे हैं.
पायलट और डोटासरा के दिल्ली दौरे को लेकर बीजेपी के वरिष्ठ नेता और राजस्थान विधानसभा में उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि कांग्रेस के विधायक रूपी धावक दौड़ लगा रहे हैं और पता नहीं वह किधर चले जाएं. राठौड़ ने कहा कि राजस्थान में अपमान की राजनीति हावी हो रही है, जिसका भुगतान प्रदेश की जनता को करना पड़ रहा है. विकास ठप है और व्यवस्थाएं चरमरा गई हैं.