मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की सबसे बड़ी बीना रिफाइनरी में एमपी सरकार अपनी हिस्सेदारी बेच सकती है. बीते मंगलवार को हुई शिवराज सिंह चौहान कैबिनेट (Shivraj Singh Chauhan Cabinet) की बैठक में इस संबंध में एक प्रस्ताव लाया गया था, जिस पर सहमति दे दी गयी है. हालांकि, अभी इस पर अंतिम फैसला नहीं हुआ है. दरअसल, केंद्र सरकार ने कंपनी में विनिवेश का फैसला किया है. इसी क्रम राज्य सरकार से भी इसमें सहयोग का अनुरोध किया गया था. ओमान बीना रिफाइनरी से पहले ही बाहर हो चुका है. ऐसे में इस प्रक्रिया को रिफाइनरी के निजीकरण की प्रक्रिया के तौर पर भी देखा जा रहा है. हालांकि, औपचारिक तौर पर इसका ऐलान फिलहाल नहीं किया गया है.
बीना रिफाइनरी से ओमान के बाद मध्य प्रदेश सरकार के बाहर होने के बाद इस पर भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड का एकाधिकार हो जाएगा. ऐसे में यह माना जा रहा है की यह रिफाइनरी के निजीकरण की प्रक्रिया है, जो प्रस्ताव कैबिनेट में लाया गया और जिस पर सहमति बनी है. उसके तहत कंपनी को वैट लोन की राशि 227 करोड़ का एकमुश्त भुगतान 6.7% की छूट के साथ होगा.
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तय समझौते के तहत एमपी सरकार रिफाइनरी को 250 करोड़ की मदद बीते 10 साल से कर रही है. यह प्रक्रिया 2026 तक चलनी थी. रिफाइनरी हर साल इसी क्रम में राशि सरकार को वापस भी लौटाती है. अब जबकि रिफाइनरी में विनिवेश की प्रक्रिया शुरू होने की खबरे है तो रिफाइनरी से करीब 1200 करोड़ की राशि अगले तीन महीने में सरकार को वापस मिल जाएगी.