कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ उपचुनाव की तैयारी को लेकर भोपाल में आज बड़ी बैठक कर रहे हैं। बैठक में प्रदेश प्रभारी मुकुल वासनिक के अलावा पूर्व मंत्री सुरेश पचौरी सहित कई विधायक मौजूद हैं। बैठक में उम्मीदवारों के चयन और चुनाव की रणनीति पर चर्चा हो रही है। बुरहानपुर से निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा ने खंडवा लोकसभा उपचुनाव के लिए अपनी पत्नी की दावेदारी की है। शेरा ने कहा- उम्मीदवार का चयन करने के लिए सर्वे को आधार बनाया जाए। बता दें कि पूर्व मंत्री अरुण यादव भी अपनी इस परंपरागत सीट पर सक्रिय हैं। यह सीट भाजपा सांसद नंदकुमार सिंह चौहान के कोरोना से निधन के बाद खाली हुई है। इसके अलावा निवाड़ी पृथ्वीपुर, जोबट और रैगांव विधानसभा सीट पर भी उपचुनाव होना है।
कमलनाथ कह चुके हैं कि अरुण यादव ने अभी तक चुनाव लड़ने की मंशा से अवगत नहीं कराया है। चारों उपचुनाव के लिए उम्मीदवार का चयन करने पार्टी सर्वे करा रही है। बैठक में शामिल होने से पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया ने कहा है कि उनके बेटे विक्रांत (प्रदेश अध्यक्ष, युवक कांग्रेस) ने जोबट से कोई दावेदारी पेश नहीं की है। हालांकि, विक्रांत का कहना है युवाओं को मौका देने के लिए वे प्रदेश अध्यक्ष से बात करेंगे।
बृजेंद्र सिंह के निधन ने के बाद खाली हुई है पृथ्वीपुर सीट
पार्टी सूत्रों ने बताया कि पूर्व मंत्री बृजेंद्र सिंह राठौर के निधन के बाद खाली हुई पृथ्वीपुर सीट से उनके बेटे नितेंद्र को टिकट मिलना लगभग तय है। नितेंद्र इस बैठक में शामिल भी हुए। इधर, रैगांव से दावेदारों की स्थिति फिलहाल स्पष्ट नहीं है। सतना के जिला अध्यक्ष सहित अन्य पदाधिकारियों से कमलनाथ बात कर रहे हैं।
निवाड़ी पृथ्वीपुर से कांग्रेस विधायक बृजेंद्र प्रताप सिंह, जोबट से कांग्रेस विधायक कलावती भूरिया और रैगांव से भाजपा विधायक जुगल किशोर बागरी का कोरोना से निधन हो गया था।
कमलनाथ बोले- हवाबाजी की राजनीति अब नहीं चलेगी
बैठक में कमलनाथ ने कहा कि अब हवाबाजी की राजनीति नहीं चलेगी। ऐसे नेताओं के कारण ही कांग्रेस चुनाव हारती है। पहले गांव में एक व्यक्ति जाकर कांग्रेस को वोट देने की अपील करता था, तो वोट मिल जाते थे, लेकिन अब राजनीतिक परिस्थितियां बदल गई हैं, अब किसी के कहने पर वोट नहीं मिलता। उन्होंने कहा कि जब तक मंडल से लेकर सेक्टर तक को मजबूत नहीं किया जाएगा, तब तक चुनाव नहीं जीत सकते। जो ज्यादा गाड़ियों के साथ ताकत बताने की कोशिश करता है, वह उतने ही बड़े अंतर से हारता है। हम हमेशा आखिरी 3 दिन में चुनाव हारते हैं, इस पर मंथन चाहिए।