अफगानिस्तान (Afghanistan) के संकट और तालिबान (Taliban) के खिलाफ संभावित आर्थिक प्रतिबंधों पर चर्चा के वास्ते जी7 देशों की मंगलवार को प्रस्तावित बैठक से पहले चीन (China) ने कहा कि अमेरिका और उसके सहयोगियों को अतीत से सबक सीखना चाहिए और समझदारी से काम लेना चाहिए. चीन ने कहा कि तालिबान के खिलाफ प्रतिबंध लगाये जाने संबंधी कदम सार्थक साबित नहीं होगा. चीन तालिबान (China Taliban) को समर्थन करता हुआ नजर आ रहा है और चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने हाल ही में तालिबानी नेताओं संग मुलाकात की थी.
जी7 देशों में ब्रिटेन के अलावा, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान और अमेरिका हैं. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन (Boris Jhonson) ने कहा कि तालिबान को उसकी बातों से नहीं उसके काम से आंका जाएगा. अमेरिकी सैनिकों की वापसी से दो सप्ताह पहले 15 अगस्त को तालिबान ने अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा जमा लिया था और इस कारण राष्ट्रपति अशरफ गनी को देश छोड़कर संयुक्त अरब अमीरात (UAE) जाना पड़ा था.
प्रतिबंध लगाना समस्या का समाधान नहीं: चीन
तालिबान पर नए प्रतिबंध लगाने की जी7 नेताओं की योजना पर प्रतिक्रिया पूछे जाने पर चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि प्रतिबंध लगाने और दबाव बनाने से समस्या का समाधान नहीं होगा. उन्होंने कहा, ‘अफगानिस्तान एक स्वतंत्र, संप्रभु राष्ट्र है. अमेरिका और उसके सहयोगियों को अतीत से सबक सीखना चाहिए और अफगानिस्तान से संबंधित मुद्दों पर समझदारी से काम लेना चाहिए.’
लोकतंत्र के बहाने सैन्य हस्तक्षेप को कैसे रोका जाए, ये ज्यादा जरूरी
चीनी प्रवक्ता ने कहा, ‘किसी भी तरह के सख्त प्रतिबंध और दबाव बनाने से समस्या का समाधान नहीं होगा. हमारा मानना है कि अफगानिस्तान में शांति और पुनर्निर्माण को आगे बढ़ाते हुए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह सोचना चाहिए कि लोकतंत्र के बहाने सैन्य हस्तक्षेप को कैसे रोका जाए.’ गौरतलब है कि अफगानिस्तान में तालिबानी शासन को मंजूरी देने के लिए चीन उत्सुक नजर आ रहा है. चीन की नजर अफगानिस्तान के खनिज संपदा है. वहीं, तालिबान ने भी कहा है कि अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण में आगे आने पर चीन का स्वागत किया जाएगा.