अमेरिका की सेना (US Forces)20 साल तक चले लंबी जंग के बाद अफगानिस्तान (Afghanistan) छोड़ चुकी है. इसके साथ ही तालिबान (Taliban) ने काबुल एयरपोर्ट को अपने कब्जे में ले लिया. पंजशीर में उसकी नॉर्दन अलायंस से लड़ाई जारी है. इस बीच एक मीडिया रिपोर्ट में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है. जिस तालिबान के खिलाफ अमेरिका 20 साल तक लड़ता रहा, उसकी मदद से ही अमेरिका ने अमेरिकी नागरिकों को काबुल से निकाला है.
अमेरिकी सेना और तालिबान के लड़ाकों के बीच एक सीक्रेट डील हुई थी, जिसके तहत अमेरिकी नागरिकों को बिना किसी दिक्कत के काबुल एयरपोर्ट तक जाने दिया गया. रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका ने काबुल एयरपोर्ट पर कुछ कॉल सेंटर्स तैयार किए थे. एक सीक्रेट गेट भी बनाया गया था. इन कॉल सेंटर्स की मदद से अमेरिकी सेना अपने नागरिकों को एयरपोर्ट तक पहुंचने के लिए लगातार गाइड कर रही थी. वहीं, तालिबान के लड़ाकों ने अमेरिकी नागरिकों की मदद सीक्रेट गेट तक पहुंचने में की.
सीक्रेट रूट से कितने अमेरिकी और अफगान नागरिकों को एयरपोर्ट तक लाने में मदद मिली. लेकिन, आखिरी दिनों में इस रूट के जरिए अमेरिकी एग्जिट ऑपरेशन में तेजी जरूर आई.
अमेरिकी सैनिक अफगानिस्तान छोड़ चुके हैं, मगर अभी भी 200 अमेरिकी नागरिक अफगानिस्तान में मौजूद हैं. अमेरिका अब कतर के रास्ते अपने बचे हुए नागरिकों को वापस लाएगा.
जो बाइडन ने कहा है कि 6,000 अमेरिकी सैनिकों को अफगानिस्तान से 31 अगस्त तक निकाल लिया गया है. बाइडन ने अप्रैल में कहा था कि 2,500 अमेरिकी सैनिक अफगानिस्तान में हैं और 20 साल चले युद्ध के बाद उन्हें जल्द से जल्द बाहर निकाल लिया जाएगा. जब तालिबान ने तेजी से अफगानिस्तान की प्रांतीय राजधानियों के साथ-साथ 15 अगस्त को काबुल पर कब्जा कर लिया तो अमेरिका को अपने लोगों को निकालने के लिए अतिरिक्त सैनिक भेजने पड़े.
15 अगस्त को काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद ही अमेरिका ने काबुल एयरपोर्ट को अपने कंट्रोल में ले लिया था. आखिरी कुछ दिनों में काबुल एयरपोर्ट पर काफी अलर्ट था. बीते रविवार को यहां पर ISIS-K ने तीन धमाके किए थे. इसमें 200 लोगों की जान गई थी. मरने वालों में अमेरिका के 13 कमांडर भी थे.