आर्टिकल 370 (Article 370) के हटने के बाद से ही जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) में सालों से अटके काम बड़ी रफ्तार से चल रहे हैं. इसका सीधा फायदा जम्मू-कश्मीर के लोगों को हो रहा है. लेकिन ये बात पाकिस्तान और उनके पोषित आतंकियों को सबसे ज्यादा चुभ रही है. ऐसे में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI ने अब आतंकी वारदातों को अंजाम देने की प्लानिंग की. अब उसकी नजर कश्मीर के औद्योगिक संस्थानों को नुकसान पहुंचाने की है.
खुफिया रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है कि अब ISI कश्मीर के पावर ग्रिड, महत्वपूर्ण ब्रिज, धार्मिक स्थल, ऑर्डिनेन्स फैक्टरी और डिपो समेत कई अन्य महत्वपूर्ण संस्थानों को आईईडी से निशाना बनाने की फिराक में है. रेलवे ब्रिज और प्रमुख सड़कों पर बने ब्रिज को आईईडी से निशाना बनाकर वो कनेक्टिविटी को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं.
इसके अलावा टैक्सटाइल कंपनी, सरकारी गोदाम को भी निशाना बनाने की प्लानिंग की जा रही है. सूत्रों की मानें तो इस काम के लिए बाकायदा भारत पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा और एलओसी से ड्रोन के जरिए विस्फोटकों को भारत में भेजने की कोशिश की जा रही है. जमीन के रास्ते हथियार और गोला बारूद बड़ी तादाद में भेज पाना पाकिस्तान के लिए मुश्किल हो रहा है, लिहाजा वो ड्रोन का भी इस्तेमाल कर रहा है.
सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर हैकिंग और सिस्टम क्रैश करने की कोशिश!
पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी तो अब सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल भारतीय सिस्टम को नुकसान पहुंचाने के प्लान पर काम कर रही है. रिपोर्ट के मुताबिक आईएसआई कश्मीर में एयरपोर्ट ऑपरेशन को बाधित करने के लिए नए तरह का सॉफ्टवेयर आतंकियों तक पहुंचाने की फिराक में है. जानकारी के मुताबिक इस सॉफ्टवेयर को आसानी से किसी भी पेनड्राइव में कही भी ले जाया जा सकता है. हालांकि इस सॉफ्टवेयर के बारे में बहुत ज्यादा जानकारी नहीं है लेकिन ये माना जा रहा है कि ये ऐसा सॉफ्टवेयर हो सकता है जिससे कम्प्यूटर हैकिंग या फिर सिस्टम क्रैश किया जा सके.
क्या पाकिस्तान को चीन मुहैया करा रहा है तकनीक?
अब सवाल ये है कि पाकिस्तान के पास ऐसी तकनीक खुद की तो हो नहीं सकती, तो क्या अब चीन उसे इस तरह के सॉफ्टवेयर दे रहा है या फिर वो तुर्की से ऐसे सॉफ्टवेयर ले रहा है जिसने हाल ही में पाकिस्तान के रिश्तों में नई इबारत लिखनी शुरू की है.