जलवायु परिवर्तन (Climate Change) का असर दुनिया के मौसमों और जंगलों पर ही नहीं बल्कि नदियों पर भी हो रहा है. जहां दुनिया भर के जीव ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) के चलते खुद को नए हालात में ढालने का प्रयास कर रहे हैं, वहीं नदियों में बाढ़ बार बार आने की संभावना भी काफी हद तक बढ़ने लगी है.भारतीय अध्ययन में संकेत मिले हैं कि गंगा (Ganga River) के मैदान में बहने वाली नदियों में भी अब और अधिक बाढ़ देखने को मिलेगी क्योंकि मानवीय गतिविधियों और जलवायु परिवर्तन की वजह से इसके बहाव में ही बदलाव हो रहा है.
किसने किया शोध
यह नया अध्ययन भारतीय विज्ञान संस्थान बेंगलुरू और भारतीय तकनीकी संस्थान कानपुर के शोधकर्ताओं ने किया है. इसमें बताया है कि मानवीय गतिविधियों का नदी पर गंभीर प्रदूषण से लेकर उसके बहाव दिशाओं तक बहुत विनाशाकारी प्रभाव पड़ रहा है. यह अध्ययन साइंटिफिक रिपोर्ट जर्नल में प्रकाशित हुआ है.
जलवायु और मानवीय गतिविधियों दोनों
इस अध्ययन में इस बात की विशेष पड़ताल की गई है कि कैसे जलवायु परिवर्तन और बांध बनाने वाली मानवीय गतिविधियां इस क्षेत्र को प्रभावित कर रहे हैं. इसमें पिछले समय में पर्वतीय क्षेत्रों में हुई मानवीय गतिविधियों का विश्लेषण किया गया जिसमें भागीरथी और अलकनंदा जैसे सहायक नदियों पर विशेष ध्यान दिया गया.
किस इलाके का किया गया अध्ययन
जहां पश्चिमी सहयाक नदी भागिरथी गंगोत्री ग्लेशियर से निकलती है, वहीं पूर्वी सहायक नदी अलकनंदा सतोपंथ ग्लेशियर से निकलती है. दोनों ही नदियां देवप्रयाग में गंगा में मिल जाती हैं. शोधकर्ताओं ने गंगा के बेसिन के ऊपर के हिस्से का ऋषिकेश तक किया. भागीरथी बेसि में चार बांध साल 2010 से काम कर रहे हैं. जबकि दो अलखनंदा बेसिन में 2015 के बाद से क्रियाशील हैं.